दिवाली की रात इन मंत्र के जप से पूरी होती है हर इच्छा
Diwali Tantra Mantra Puja In Hindi : दिवाली रात को विभिन्न मंत्र तो सिद्ध किए ही जाते है इसके अलावा जीवन में जो परेशानियां है उनका समाधान भी मंत्र के जप करने से हो जाता है। इस बार 6 अलग-अलग मंत्र के जन करने से हर प्रकार की इच्छा पूरी होती है।
रतलाम। आगामी 27 अक्टूबर 2019 को देश व दुनिया दिवाली का त्योहार मनाएगी। यह रात तंत्र, मंत्र व यंत्र की सिद्धी की प्रमुख रात होती है। दिवाली रात को विभिन्न मंत्र तो सिद्ध किए ही जाते है इसके अलावा जीवन में जो परेशानियां है उनका समाधान भी मंत्र के जप करने से हो जाता है। इस बार ६ अलग-अलग मंत्र के जन करने से हर प्रकार की इच्छा पूरी होती है। यह बात प्रसिद्ध ज्योतिषी भोलाशंकर तिवारी ने कही। वे भक्तों को दिवाली की रात किए जाने वाले उपाय के बारे में बता रहे थे।
MUST READ : दिवाली पूजा का बेस्ट मुहूर्त यहां पढे़ं प्रसिद्ध ज्योतिषी भोलाशंकर तिवारी ने कहा कि दस महाविद्या में से एक त्रिपुरा या ललिता देवी संसार में हर इच्छा को पूरी करती है। त्रिपुरा या ललीता सहस्रनाम ब्रह्माण्ड पुराण का अंश है। ब्रह्माण्ड पुराण में इसका शीर्षक ‘ललितोपाख्यानÓ के रूप में है। ब्रह्माण्ड पुराण के उत्तर खण्ड में भगवान हयग्रीव और महामुनि अगस्त्य के संवाद के रूप में इनका विवेचन मिलता है। ये अनेक नामों से संबोधित की जाती हैं। जैसे- परमज्योति, परमधाम, परात्परा, सर्वान्तर्यामिनी, मूलविग्रहा, कल्पनारहिता, त्रयी, तत्त्वमयी, विश्वमाता, व्योमकेशी, शाश्वती, त्रिपुरा, ज्ञानमुद्रा, ज्ञानगम्या, चक्रराजनिलया, शिवा, शिवशक्त्यैक्यरूपिणी। इन्हीं नामों से छान्द्र, कठ, जाबाल, केन, ईश, देवी और भावना आदि उपनिषदों में भी संबोधित किया गया है।
MUST READ : दिवाली पर गणेश पूजन में सूंड का रखे विशेष ध्यान, नहीं तो चली जाती है महालक्ष्मीपहले जाने त्रिपुरा या ललीता का अर्थ प्रसिद्ध ज्योतिषी भोलाशंकर तिवारी ने बताया कि ललिता का अर्थ है – वह जो खेलता है। वे भगवान् शिव की पत्नी के साथ आनंद की देवी हैं। उनके सौंदर्य का अत्यंत खुबसूरती से वर्णन किया गया है। उनका रूप अत्यंत उज्जवल और प्रकाशमान है। रक्तिम कमल पर विराजित, गौर वर्णी देवी के चम्पक और अशोक की सुगन्ध वाले लम्बे-घने केश हैं, माथे पर तिलक है, सुंदर पलकें और नेत्र ऐसे जैसे कि मछलियां झील में विचरण कर रही हों। हृदय की वासिनी होने के कारण मां ललिता देवी शीघ्रातिशीघ्र प्रसन्न हो सभी का सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करती हैं और उनका सौंदर्य ऐसा है कि भगवान शिव भी स्वयं अपने नेत्र उनसे हटा नहीं पाते।
श्रीमाता श्री महाराज्ञी, श्री मत्सिंहासनेश्वरी। चिद्ग्नि कुण्डसम्भूता, देवकार्य समुद्यता। विधि : श्वेत वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, रुमाल या पुष्प साथ रखें। पूर्वाभिमुख : 11 बार , 11 आवृत्ति प्रसाद : चावल की खीर। ये करें : हर मंत्र के बाद एक श्वेत पुष्प चढ़ाएं।
MUST READ : दिवाली 2019 के पूर्व दो दिन चार महायोग, इस दिन कर सकते है खरीदी IMAGE CREDIT: patrika2. नवीन वाहन करने के लिए उद्यत्भानु सहस्राभा, चतुर्बाहुसमन्विता। रागस्वरूपपाशाढिय़ा, क्रोधाकारा कुशोज्वला। विधि : लाल वस्त्र, उत्तरीय दुपट्टा, रुमाल या पुष्प साथ रखें। पूर्वाभिमुख : 11 बार, 21 आवृत्ति प्रसाद : बेसन के दो लड्डू। ये करें : ललिताम्बा को झुक कर प्रणाम करें।
MUST READ : नरक चतुर्दशी 2019 : जरूर करें ये 3 काम, यम के भय से मिलेगी मुक्ति3. घर से दरिद्रता हटाने के लिए सर्वारुणानवद्यांगी, सर्वाभरणभूषिता। शिव कामेश्वरांकस्था, शिवा स्वाधीन वल्लभा। विधि : पीला वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, रुमाल या पुष्प साथ रखें। पूर्वाभिमुख : 11 बार, 11 आवृत्ति प्रसाद : ग्यारह गुलाब जामुन। ये करें : सफेद फूलों की माला ललिता जी को पहनाएं।
MUST READ : एमपी में सैकड़ों कश्मीरी युवक पहुंचते है यहां दुल्हा बनने, वर्षो से चल रही परंपरा4. कठिन कार्यों को सरल बनाने के लिए सुमेरु श्रृंग मध्यस्था, श्री मन्नगर नायिका। चिन्तामणि गृहान्तस्था, पंचब्रह्मासनस्थिता। विधि : केसरिया वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, रुमाल या पुष्प साथ रखें। पूर्वाभिमुख : 11 बार, 21 आवृत्ति प्रसाद : मीठी रोटी। ये करें : एक का सिक्का ललिताम्बा जी के चरणों में चढ़ाएं।
MUST READ : VIDEO दिग्विजय सिंह ने करवाचौथ के पहले पत्नी अमृता को लेकर दिया ये बड़ा बयान5. डर दूर भगाने के लिए महामद्माटवीसंस्था, कदम्बवन वासिनी। सुधासागर मध्यस्था, कामाक्षी कामदायिनी। विधि : गुलाबी वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, रुमाल या पुष्प साथ रखें। पूर्वाभिमुख : 11 बार, 11 आवृत्ति प्रसाद : इमरती। ये करें : ललिता जी की हर दिन 11 परिक्रमा करें।
MUST READ : रेलवे चला रहा तीन स्पेशल ट्रेन IMAGE CREDIT: net6. परिवार में आपसी प्रेम बढ़ाने के लिए सम्पत्करी समारुढ़ा, सिन्धुरव्रज सेविता। अश्वारुढ़ाधिष्ठिता, अश्व कोटिभिरावृता। विधि : लाल वस्त्र, उत्तरीय, दुपट्टा, रुमाल या पुष्प साथ रखें। पूर्वाभिमुख : 11 बार, 21 आवृत्ति प्रसाद : पेड़ा। ये करें : तुलसी जी को पूजन के बाद चुन्नी चढ़ाएं।