कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से सप्तमी तक चार दिन तक घर से कालिका माता मंदिर के झाली तालाब के घाट तक आस्था और उत्साह रहेगा। रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कहा कि इस बार छठ महापर्व 31 अक्टूबर यानी गुरुवार को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। पहली नवंबर को खरना और दो नवंबर को सूर्य षष्ठी का मुख्य पर्व होगा। इस दिन व्रतीजन डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। पर्व का समापन तीन नवंबर यानी रविवार को उदित होते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होगा। इसी दिन पारण किया जाएगा। नहाय-खाय महापर्व की शुरुआत 31 अक्तूबर यानी गुरुवार को नहाय-खाय के साथ होगी।
रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल के अनुसार छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी, 31 अक्तूबर शनिवार से शुरू होगा। समापन तीन नवंबर रविवार को होगा। गुरुवार को शाम 4.45 के बाद भद्रा का योग है।
1 नवंबर, शुक्रवार खरना
2 नवंबर, शनिवार अस्त होते सूर्य को अर्घ्य
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इस तरह मनता है यह पर्व इस दिन घर की साफ-सफाई करके व्रतीजन स्नान करते हैं। खाने में अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू का सेवन होता है। परंपरा के अनुसार इस दिन से व्रत संपन्न होने तक व्रतीजन बिस्तर पर नहीं सोते हैं। खरना से प्रसाद बनाने के लिए घरों में गेंहू, चावल को शुद्धता से पिसवाने का काम शुरू हो गया है। खरना महापर्व का दूसरा चरण नहाय-खाय होगा। यह पहली नवंबर यानी शुक्रवार को है। इस दिन व्रतीजन शाम को भोजन करते हैं। भोजन में गुड़ खीर खाने की परंपरा है। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य खरना के बाद तीसरा मुख्य चरण शनिवार यानी दो नवंबर को सूर्य पष्ठी है। इस दिन परिवार के सभी सदस्य मिलजुल कर प्रसाद बनाते हैं। इसके साथ ही छठ मइया के पारंपरिक गीतों से घर-आंगन गूंजेगा।