भाई दूज : बीमारी रहती है दूर अगर करें भाई दूज को इस तरह पूजा
बदलते मौसम के साथ हर कोई को कुछ न कुछ बीमारी होती है, लेकिन भाई दूज को भाई की विधि विधान से पूजा की जाए तो बीमारी दूर रहती है। यहां पढ़ें पूजा की पूरी विधि व शुभ समय।
रतलाम। बदलते मौसम के साथ हर कोई को कुछ न कुछ बीमारी होती है, लेकिन भाई दूज को विधि विधान से पूजा की जाए तो बीमारी दूर रहती है। दिवाली का त्यौहार जहां 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा वही दूसरी तरफ 29 अक्टूबर को भाई दूज या यम की पूजा का पर्व भी मनेगा। इस दिन नियम का पालन करते हुए यम की पूजा के साथ भाई की जाए तो बीमारी आसपास भी नहीं आती है। यहां पढ़ें पूजा की पूरी विधि व शुभ समय।
MUST READ : दिवाली पर गणेश पूजन में सूंड का रखे विशेष ध्यान, नहीं तो चली जाती है महालक्ष्मीये है पूरी कथा रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया को पूर्व काल में यमुना ने यमराज को अपने घर पर सत्कारपूर्वक भोजन कराया था। उस दिन नारकी जीवों को यातना से छुटकारा मिला और उन्हें तृप्त किया गया। वे पाप-मुक्त होकर सब बंधनों से छुटकारा पा गये और सब के सब यहां अपनी इच्छा के अनुसार संतोष पूर्वक रहे। उन सब ने मिलकर एक महान् उत्सव मनाया जो यमलोक के राज्य को सुख पहुंचाने वाला था। इसीलिए यह तिथि तीनों लोकों में यम द्वितीया के नाम से विख्यात हुई। जिस तिथि को यमुना ने यम को अपने घर भोजन कराया था, उस तिथि के दिन जो मनुष्य अपनी बहन के हाथ का उत्तम भोजन करता है उसे उत्तम भोजन समेत धन की प्राप्ति भी होती रहती है। पद्म पुराण में कहा गया है कि कार्तिक शुक्लपक्ष की द्वितीया को पूर्वाह्न में यम की पूजा करके पवित्र जल से स्नान करने वाला मनुष्य यमलोक को नहीं देखता है।
MSUT READ : दिवाली पूजा का बेस्ट मुहूर्त यहां पढे़ं IMAGE CREDIT: lali koshtaबहन के घर भोजन का है महत्व रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि इस तिथि को अपने घर मुख्य भोजन नहीं करना चाहिए। उन्हें अपनी बहन के घर जाकर उन्हीं के हाथ से बने हुए पुष्टिवर्धक भोजन को स्नेहपूर्वक ग्रहण करना चाहिए तथा जितनी बहनें हों उन सबको पूजा और सत्कार के साथ विधिपूर्वक वस्त्र, आभूषण आदि देना चाहिए। सगी बहन के हाथ का भोजन उत्तम माना गया है। उसके अभाव में किसी भी बहन के हाथ का भोजन करना चाहिए। यदि अपनी बहन न हो तो अपने चाचा या मामा की पुत्री को या माता पिता की बहन कोया मौसी की पुत्री या मित्र की बहन को भी बहन मानकर ऐसा करना चाहिए। बहन को चाहिए कि वह भाई को शुभासन पर बिठाकर उसके हाथ-पैर धुलाये। गंधादि से उसका सम्मान करे और दाल-भात, फुलके, कढ़ी, सीरा, पूरी, चूरमा अथवा लड्डू, जलेबी, घेवर आदि (जो भी उपलब्ध हो) यथा सामर्थ्य उत्तम पदार्थों का भोजन कराये। भाई बहन को अन्न, वस्त्र आदि देकर उससे शुभाशीष प्राप्त करे।
MUST READ : महाबली रावण ने किए थे शरद पूर्णिमा के टोटके, आप भी करें मिलेगा लाभपूजा की है ये विधि रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने बताया कि एक उच्चासन (मोढ़ा, पीढ़ी) पर चावल के घोल से पांच शंक्वाकार आकृति बनाई जाती है। उसके बीच में सिंदूर लगा दिया जाता है। आगे में स्वच्छ जल, 6 कुम्हरे का फूल, सिंदूर, 6 पान के पत्ते, 6 सुपारी, बड़ी इलायची, छोटी इलाइची, हर्रे, जायफल इत्यादि रहते हैं। कुम्हरे का फूल नहीं होने पर गेंदा का फूल भी रह सकता है। बहन भाई के पैर धुलाती है। इसके बाद उच्चासन (मोढ़े, पीढ़ी) पर बैठाती है और अंजलि-बद्ध होकर भाई के दोनों हाथों में चावल का घोल एवं सिंदूर लगा देती है। हाथ में मधु, गाय का घी, चंदन लगा देती है। इसके बाद भाई की अंजलि में पान का पत्ता, सुपारी, कुम्हरे का फूल, जायफल इत्यादि देकर कहती है – “यमुना ने निमंत्रण दिया यम को, मैं निमंत्रण दे रही हूं अपने भाई को जितनी बड़ी यमुना जी की धारा, उतनी बड़ी मेरे भाई की आयु। यह कहकर अंजलि में जल डाल देती है। इस तरह तीन बार करती है, तब जल से हाथ-पैर धो देती है और कपड़े से पोंछ देती है। टीका लगा देती है। इसके बाद भुना हुआ मखाना खिलाती है। भाई बहन को अपनी सामर्थ्य के अनुसार उपहार देता है। इसके बाद उत्तम पदार्थों का भोजन कराया जाता है।
MUST READ : भूलकर मत करना यह 7 काम, नाराज होती है महालक्ष्मीये है दिनभर का मुहूर्त 29 अक्टूबर 2019 मंगलवार यम द्वितीया भाई दूज और चित्र गुप्त पूजा कार्तिक शुक्ल द्वितीया सुबह 06.14 से रात 3.48 ( यानि अगले दिन )
पूजा मुहूर्त अभिजित मुहूर्त सुबह 11. 25 से दोपहर 12.11 चौघडिया अमृत सुबह 6.02 बजे से सुबह 7.29 तक शुभ- 8.35 बजे से 10.22 तक चर- दोपहर 1.14 बजे से 2.41 तक लाभ- दोपहर 2.42 बजे से शाम 4.07 बजे तक अमृत- शाम 4.08 बजे से 5.34 बजे तक
संध्या समय ये रहेगा मुहूर्त चर- 5.35 बजे से 7.07 बजे तक लाभ- रात 10.16 बजे से 11.48 बजे तक स्थिर लग्न वृश्चिक- सुबह 8.28 बजे से 10.45 बजे तक कुम्भ- दोपहर 2.38 बजे से 4.09 बजे तक वृषभ- 19.14 बजे से 21.10 बजे तक सिंह- 1.42 बजे से 3.56 बजे तक