angarak chaturthi and saravrth siddhi yoga in astrology
रतलाम। ज्येष्ठ माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशी आती है, लेकिन जब अधिकमास या मलमास होता है तब एकादशी बढ़कर 26 हो जाती है। गुरुवार के दिन एकादशी का विशेष महत्व है। इस दिन हर राशि वाले जीवन में पांच काम करें तो जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। ये बात रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी व केरल की तंडी विद्या के जानकार वीरेंद्र रावल ने कही। वे इंद्रा नगर में भक्तों को अपरा एकादशी के बारे में बता रहे थे।
यह भी पढे़ं – भविष्यवाणी: अपरा एकादशी के दिन मोदी ले रहे शपथ, बजेगा भारत का डंकाअपरा एकादशी का महत्व ज्योतिषी रावल ने बताया अपरा एकादशी का व्रत करने से वही फल प्राप्त होता है, जो फल तीनों पुष्कर में कार्तिक पूर्णिमा को स्नान करने, गंगा तट पर पिंडदान करने से प्राप्त होता है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को विधि विधान से करता है, वह सब पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु की सेवा के लिए उनके लोक में हमेशा के लिए चला जाता है। पों से छूटकर विष्णु लोक को जाता है।
अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जो इस वर्ष 30 मई 2019 को है। भारतीय पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। इस दिन व्रत करने से अपार धन-दौलत की प्राप्ति होती है। इस व्रत का महत्व इतना है कि इस दिन व्रत रखने वाला दुनिया भर में प्रसिद्धि पाता है, सभी तरह के पापों और कष्टों से मुक्त हो जाता है।
ये है अपरा या अचला एकादशी कथा प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा और दयालु राजा था। उसका छोटा भाई वज्रध्वज उससे ईष्र्या करता था। एक दिन उसने अपने बड़े भाई की हत्या कर दी और उसके शव को एक पीपल के पेड़ के नीचे दफना दिया। इस अकाल मृत्यु के कारण महीध्वज प्रेत बन गया। प्रेत बनने के बाद वो आसपास के लोगों को परेशान करने लगा। एक दिन धौम्य ऋषि वहां से जा रहे थे, तभी उन्होंने उस प्रेत को देखा और अपने ज्ञानचक्षु से उस प्रेतात्मा के जीवन से जुड़ी जानकारियां प्राप्त कर लीं।
खेलो पत्रिका flash bag NaMo9 contest और जीतें आकर्षक इनाम प्रेत की परेशानियों को दूर करने के लिए उसे परलोक विद्या दी। इसके बाद राजा महीध्वज को प्रेत योनि से मुक्ति के लिए धौम्य ऋषि ने स्वयं अपरा एकादशी का व्रत रखा। उस व्रत से जो भी पुण्य धौम्य ऋषि को प्राप्त हुआ, वह सारा पुण्य उन्होंने राजा महीध्वज को दे दिया। पुण्य के प्रताप से राजा महीध्वज को प्रेत योनी से मुक्ति मिल गई। इसके लिए राजा ने धौम्य ऋषि को धन्यवाद देकर भगवान विष्णु के धाम वैकुण्ठ चले गए।
ये पांच करने से होता लाभयह भी पढे़ं – 3 जून होगा खास दिन, क्योकि शनि जयंती, वट सावित्री, सोमवती अमावस्या, सर्वार्थ सिद… 1- एकादशी के दिन सुबह गाय बो चारा डालने से कभी धन की कमी नहीं होती है। 2- एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ से कभी धन की कमी नहीं होती है। 3- एकादशी के दिन चांवल का त्याग करने से कभी धन की कमी नहीं होती है। 4- एकदशी के दिन चींटी को शक्कर व अन्न डालने से कभी धन की कमी नहीं होती है। 5- एकादशी के दिन सुबह पीपल पर जल चढ़ाने से व शाम को दीपक लगाने से कभी धन की कमी नहीं होती है।
Hindi News / Ratlam / अपरा एकादशी 2019: हर राशि वालों को ये पांच काम करने से नहीं होती कभी धन की कमी