गांधी जयंती पर जिलेभर में स्वच्छता का संकल्प भी लिया गया। ऐसे में स्वच्छता के मुख्य आधार शौचालयों के आंकड़ों की ‘पत्रिका’ ने पड़ताल की। सामने आया कि वर्ष 2014 से पूर्व जिले की 418 ग्राम पंचायत व जनपद में करीब 40 हजार टॉयलेट बनाए गए। इसके लिए प्रत्येक टॉयलेट के लिए 12 हजार रुपए की राशि दी गई। वर्ष 2014 के बाद व सितंबर 2019 तक जिले में 1.64 लाख परिवार के लिए टॉयलेट बनाए गए। इन टॉयलेट का ही अगस्त व सितंबर में सर्वे किया गया। इस सर्वे के बाद ही ये सामने आया कि 1400 टॉयलेट स्थलों पर पाए ही नहीं गए, जबकि कागज में इनका उल्लेख है। करीब तीन हजार टॉयलेट अनुपयोगी है, मतलब इनका उपयोग ही नहीं हो रहा है।
MUST READ :
जब महात्मा गांधी ने रतलाम में कही थी ये बड़ी बात Gandhi Jayanti 2019: VIDEO मध्यप्रदेश में 150 साल बाद भी जिंदा है बापू इन जनपद में सबसे कम उपयोगअधिकारियों के अनुसार घालमेल सैलाना व बाजना जनपद में हुआ है। वर्ष 2013 से 2018 तक जो टॉयलेट बनाए गए, 1400 गायब है। सर्वे ने अपनी अलग-अलग रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि मैदान में जब गए तो टॉयलेट खेत व घर में नहीं मिले। इसके अलावा तीन हजार टॉयलेट का बनने के बाद से उपयोग जिले में नहीं हुआ है, इनकी राशि निकाल गई है।
ये सही है कि सर्वे रिपोर्ट में सैलाना व बाजना क्षेत्र में मिलाकर करीब 1400 टॉयलेट मैदानी जांच में नहीं पाए गए। इसके अलावा जिले में तीन हजार टॉयलेट अनुपयोगी मिले है, लेकिन इसका एक अलग दल से फिर से सर्वे करवा रहे है। नए दल को सर्वे के लिए 20 अक्टूबर तक का समय दिया गया है।
– अवधसिंह अहिरवार, जिला समन्वयक, स्वच्छ भारत मिशन, जिला पंचायत