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रांची

अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में होगी शामिल-सीएम

मुख्यमंत्री ने सोमवार को रांची में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार अटल बिहारी बाजपेयी की जीवनी को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करेगी ताकि आनेवाली पीढ़ी उन्हें, उनके विचारों और उनके कार्यों के बारे में जाने…

रांचीAug 20, 2018 / 03:40 pm

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मुख्यमंत्री रघुवर दास

मुख्यमंत्री रघुवर दास

(पत्रिका ब्यूरो,रांची): मुख्यमंत्री रघुवर दास ने सोमवार को झारखण्ड मंत्रालय में कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी का निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। वे सदैव हमारे आदर्श एवं प्रेरणास्रोत बने रहेंगे। उनकी अस्थियां झारखण्ड की प्रमुख पांच नदियों में विसर्जित की जाएंगी।


मुख्यमंत्री ने सोमवार को रांची में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राज्य सरकार अटल बिहारी बाजपेयी की जीवनी को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करेगी ताकि आनेवाली पीढ़ी उन्हें, उनके विचारों और उनके कार्यों के बारे में जाने। इस संबंध में राज्य सरकार ने शिक्षा मंत्री को निर्देश भी दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्व. अटल बिहारी वाजपेयी झारखंड के निर्माता हैं। झारखण्ड राज्य उनकी देन है। राज्य की सवा तीन करोड़ जनता और राज्य सरकार का यह कर्तव्य बनता है कि उनके लिए कुछ विशेष करें।

 

सीएम ने केरल बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आने की अपील की मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि केरल में आई भीषण बाढ़ और तबाही से पूरा देश देश स्तब्ध है। राज्य सरकार ने 5 करोड रूपए राहत के लिए केरल मुख्यमंत्री राहत कोष में भेज रही है। मुख्यमंत्री ने समाज सेवी संस्थाओं के साथ-साथ आम जनता से अपील की कि अपने-अपने स्तर से भी इस विपदा की घड़ी में लोग केरल के बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए आगे आएं। मुख्यमंत्री ने बाबा बैद्यनाथ से प्रार्थना किया कि जल्द भगवान शिव इस प्रकृतिक विपदा से केरल के बाढ़ पीड़ितों को राहत दें।


गौरतलब है कि 16 अगस्त को पूर्व पधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। पूरा देश और राजनीतिक जगत शौक में डूब गया। भाजपा के साथ ही विपक्षी पाटिर्यों के नेताओं ने भी अटल जी को श्रद्धांजलि दी। इसक प्रमुख कारण है कि अटल जी दलगत राजनीति से कहीं उपर थे और हर दल के नेताओं के साथ उनकी अच्छी स्मृतियां जुडी हुई है। उन्हें अजातशत्रु की संज्ञा दी गई। बताया जाता है कि उनके इतने लंबे राजनीतिक सफर में कोई उनका दुश्मन नहीं रहा। विदेशों में भी अटल जी उदारता के चर्चे थे और भारत के बाहर भी लोग उनके व्यवहार और रजनीति के तरीके के कायल थे। इसी का परिणाम था कि कई देशों के मंत्रियों ने उनके अंतिम संस्कार में भाग लिया साथ ही उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए कई देशों ने अपने राष्ट्रीय झंडों तक को नीचे झुका दिया था।

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