इसके साथ ही कानून हाथ में लेकर राम मंदिर निर्माण की बात करने वालों के खिलाफ उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि देश के सबसे बहादुर लोग, जो छह दिसम्बर 1992 को अकेली पुरानी इमारत को गिराने में कामयाब हो गए और बहादुरी का काम हुआ। एक तरफा बहादुरी छह दिसम्बर को हुई थी। दूसरी बहादुरी फिर कर लें। दोनों बहादुरी इतिहास में लिखी जाएंगी। फौज पहले भी लगी थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह के हालात है, इसमें फौज पीएसी से मतलब नहीं होता। आदेश और हाकिम की नीयत से मतलब होता है। इसके आगे उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हाकिम खामोश तमाशाई बना हुआ है। बहुत बहादुरी की बात है। दूसरा शौर्य दिवस मनाएंगे, इसी से वोट मिलेगा।
उन्होंने कहा कि चार पढ़े लिखे नौजवान बेरोजगारी से तंग आकर ट्रेन के आगे कूद गए, जिनमें से तीन की मौत हो गई। एक जिन्दगी मौत की लड़ाई लड़ रहा है। कोई और देश होता तो लोग सड़कों से वापिस नहीं जाते, जबतक उतना ही खून सत्ता में बैठे लोगों का नहीं बह जाता। हमारे यहां तो इतिहास में सबसे बड़ा कारनामा छह दिसम्बर को हुआ। बाकी तो बाहर से हुक्मरां आते रहे और हम पर हुकूमते करते रहे। अब हो सकता है दूसरा बड़ा बहादुरी का काम हो। उन्होंने कहा कि आज जो कुछ हो रहा है यह कोर्ट को खुली चुनौती है। उन्होंने कहा कि यह सब इस लिए हो रहा है, क्योंकि पांच साल कुछ तो किया नहीं है, इसीलिए पांच दिन में भूख से मरते बिलखते लोगों को कुछ तो दिखाना है।