आजम खान ने लिखा है कि मेरे अजीजों, आपके दिलो-दिमाग में बहुत सारे सवालात होंगे, लेकिन मेरा जवाब सिर्फ इतना है कि जो लोग समझते हैं कि सब कुछ मिट जाएगा। वे सही हो सकते हैं, लेकिन एक इतिहास लिख गया है। एक तारीख कायम हो गई कि हड्डी-गोश्त से बना हुआ एक इंसान हुकूमत की मुखालफत के बावजूद एक अजीम उल शान यूनिवर्सिटी और नौनिहालों के लिए अच्छे स्कूल देने में कामयाब हो सका।
यह भी पढ़ें-
एनकाउंटर मैन बोले- आजम खान के खिलाफ लगी धाराएं पर्याप्त, अब कभी भी हो सकते हैं गिरफ्तार आजम खान ने पत्र के माध्यम से विरोधियों को चेतावनी देते हुए लिखा है कि जिनको खुद भी मिट जाना है, उन्हें समझ लेना चाहिए कि इल्म की रौशन शमां को गुल करने का हर मददगार जलकर खाक हो जाएगा। वे इस खुशफहमी में न रहें कि तारीख उनको मीर जाफर या मीर सादिक के नाम से याद रखेगी। नाली के गंदे गली के कीड़ों का कोई नाम नहीं होता। उनकी फकत पहचान होती है, जो दुनिया को बदबू देती रहेगी।
यह भी पढ़ें-
सपा के इस सांसद ने दिया भड़काऊ बयान, कहा- देश में खौफ के बीच जी रहे हैं मुस्लिम, हम बेसहारा वहीं उन्होंने यूनिवर्सिटी के स्टाफ और अपने तलबा और तलाबात से कहा कि मैंने इंसानी ब्रादरी की जो कराहती हुई तस्वीर देखी है। उसकी दुखन मेरे दुखों से कहीं ज्यादा है। घड़ी कठिन हो सकती है, लेकिन बच्चों सच यह भी है कि सच को मनवाने में देर हो सकती है, लेकिन शिकस्त नहीं हो सकती है। इम्तेहान की इस घड़ी में जिसने जितना साथ दिया। हम उसके ज्यादा शुक्रगुजार हैं। वहीं जिन्होंने साथ नहीं दिया या जो डर गए, उन पर भी हमको आगे भरोसा करना चाहिए। मेरी बात सुनो… शीर्षक से लिखे इस पत्र में अपना पता नामालूम लिखा है।