विवाद की जड़
इस विवाद की शुरुआत जून महीने में हुई, जब गांव के कुछ लोगों ने सीएचसी प्रभारी डॉ. संजय से शिकायत की कि नए भवन के मुख्य द्वार पर गट्टूबाई खेरोदिया के नाम की स्टील की पट्टिका लगी है। उन्होंने इसे हटाने की मांग की, जिसे सीएचसी प्रभारी ने सीएमएचओ को बताया। इस बीच, कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों ने गट्टूबाई खेरोदिया सीएचसी सालोर के नाम का सिल्वर कलर का शाइन बोर्ड लगा दिया।
प्रशासन की अनिश्चितता
इस विवाद में सीएमएचओ भी बार-बार निदेशक से सलाह मांगते रहे हैं। सीएचसी प्रभारी ने बोर्ड हटाने के निर्देश पर पुलिस से मदद मांगी है, लेकिन पुलिस ने उन्हें कार्यपालक मजिस्ट्रेट से सक्षम आदेश लाने की सलाह दी है। सीएचसी प्रभारी के अनुसार, “मेरी रिपोर्ट पर पुलिस ने कहा कि जाब्ता उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन आदेश लाकर दें।”
कलक्टर के निर्देश और दूसरा पक्ष
विवाद को देखते हुए कलक्टर ने बोर्ड हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। अब दूसरा पक्ष भी मैदान में आ गया है, जिसने सीएचसी के पुराने भवन के निर्माण में अपने योगदान का दावा किया है और बोर्ड को यथावत रखने की मांग की है।
वर्तमान स्थिति
डॉ. हेमंत बिंदल, सीएमएचओ ने कहा कि “निदेशक को जो रिपोर्ट भेजी गई थी, उस पर अभी तक कोई निर्देश नहीं आया है।” ऐसे में सालोर सीएचसी की यह स्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता को दर्शाती है, बल्कि स्थानीय समुदाय में भी असंतोष पैदा कर रही है।