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Bagheri Ka Naka : राजसमंद का बाघेरी का नाका छलका, लोगों की लगी भीड़

– कुदरत ने हरियाली अमावस पर बिछाई खुशियों की चादर, तीन साल बाद फिर जुलाई में ही छलका बाघेरी का नाका

राजसमंदJul 29, 2022 / 12:15 pm

himanshu dhawal

Bagheri Ka Naka : राजसमंद का बाघेरी का नाका झलका, लोगों की लगी भीड़

राजसमंद के खमनोर क्षेत्र स्थित बाघेरी का नाका बांध गुरुवार को छलकने के बाद चलती चादर व रपट पर नाहते लोग

खमनोर गिरीश पालीवाल@ . मचींद-फतहपुर की पहाडिय़ों के अप्रतिम सौंदर्य व उसकी तलहटियों से बहती जीवनदायिनी बनास नदी के बीच बना बाघेरी का नाका बांध गुरुवार दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर छलक गया। प्रकृति ने मानो हरियाली अमावस्या पर जड़ और चैतन्य जीवों के लिए खुशियों की चादर खोल दी।
हरियाली अमावस्या का अवसर होने से बड़ी संख्या में लोग बाघेरी नाका पिकनिक मनाने पहुंचे थे। इस दौरान दोपहर 12 बजे लबालब होते ही हवाओं से बनी लहरें बाघेरी के 32.80 फीट ऊंचे नाका से उछलक कर बाहर की ओर गिरने लगीं। कुछ ही देर में नाका के दोनों छोर और मध्य भाग से पानी की सफेद मोतियों सी दिखती लडिय़ां गिरने लगीं और करीब एक इंच की चादर चल गई। पिछले तीन दिन सूखे बीतने के कारण पानी की आवक धीमी पड़ी, जिससे चादर महीन बह रही है। हालांकि ये बहुत संतोषजनक है कि बाघेरी नाका पिछले साल की तुलना में 69 दिन पहले छलक गया है। गत वर्ष 2021 में मानूसन फीका रहा और लंबे इंतजार के बाद 4 अक्टूबर को यह बांध छलका था।
इस साल मार्च से ही आमजन, पशु-पक्षियों व जीव-जंतुओं को कई दशकों की रिकॉर्ड भीषण गर्मी व जलसंकट का सामना करना पड़ा था। अब बाघेरी नाका छलकने के साथ ही काफी हद तक पेयजल की चिंता दूर हो गई है। मानसून काल का करीब आधा हिस्सा अभी बाकि है। ऐसे में लोग ये भी उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में भी बादल खूब बरसेंगे। बनास नदी पूरे वेग से बहेगी और नंदसमंद बांध को भी छलकाकर आगे बढ़ेगी। बनास नदी राजसमंद झील को भरने में भी सहायक बनती है।
दूर-दूर से पर्यटकों की बहार
बाघेरी नाका बेहद प्राकृतिक खूबसूरती से भरे इलाके में बना हुआ है। बारिश के मौसम में हरियाली से चौतरफा आच्छादित पर्वतमालाएं, कभी पहाड़ों की चोटियों से लेकर गोद तक बादलों की सफेद-काली घटाएं तो कभी साफ नीले आसमान और तल में भरे पानी और उसमें उठती लहरें बाघेरी नाका के सौंदर्य में चार चांद लगा देती हैं। इसकी चादर से जब पानी गिरता है तो हर किसी को मोह लेता है। बाघेरी की चादर में नहाने का लुत्फ लेने के लिए जिले ही नहीं, बाहरी जिलों और यहां तक कि अन्य प्रदेशों से भी पर्यटक आते हैं। बाघेरी नाका छलकने पर हरियाली अमावस्या, रविवार या अवकाश के दिन यहां पर्यटकों का भारी हुजूम उमड़ पड़ता है। मेले सा वातावरण बन जाता है।
वर्ष 2011 से 22 तक कब-कब छलका
2011 17 अगस्त
2012 29 अगस्त
2013 18 अगस्त
2014 27 अगस्त
2015 27 जुलाई
2016 18 जुलाई
2017 22 जुलाई
2018 29 जुलाई
2019 16 अगस्त
2020 24 अगस्त
2021 04 अक्टूबर
2022 28 जुलाई
2003 में नींव रखी, 6 व 7 में छलका
विधानसभाध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के प्रयासों से बाघेरी नाका योजना ने मूर्तरूप लिया। 2003 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शिलान्यास किया। 2006 में बना और उसी वर्ष 6 फीट की चादर चली। 2007 में भी छलका था।
2008 व 2009 में खाली रह गया
वर्ष 2008 और 2009 में लगातार दो साल मानसून ने मुंह मोड़ लिया। इस कारण बाघेरी नाका पूरा भरा ही नहीं। 2008 में सिर्फ 24 फीट, जबकि 2009 में छलकने से एक फीट कम यानी 31 फीट पानी ही आया।

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