वहीं छह पैंथरों की प्राकृतिक मौत भी हुई है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष दो वर्ष बाद वन्यजीव गणना हुई है। इसमें 253 पैंथर सामने आए हैं, जबकि जानकारों की मानें तो इससे दो गुना पैंथर बताए जा रहे हैं।
गाय, बकरी, भेड़ को बनाया निवाला
वन विभाग के अनुसार, 1 जनवरी से 30 सितम्बर 2024 तक राजसमंद उपवन संरक्षक क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले गांव, तहसील और शहरी क्षेत्र में अब तक 329 पशुओं पर पैंथर हमला कर अपना निवाला बना चुके हैं। इसमें गाय, बकरी, भैंस और भेड़ सहित कई पशु है। हालांकि विभाग की ओर से इसके लिए नियमानुसार मुआवजा दिए जाने प्रावधान है। वन विभाग ने यहां से किए रेस्क्यू
वन विभाग के अनुसार, कुंभलगढ़ के मजेरा से पैंथर को रेस्क्यू किया गया। इसी प्रकार नाथद्वारा के गाररेचों का गुडा से, झीलवाड़ा के जनावद से, राजसमंद के पुलिस लाइन से, नाथद्वारा के मेनपुरिया से, राजसमंद मानदेह राछेड़ी से, मानदेह राछेड़ी से, बोखाड़ा के भानपुरा में,
राजसमंद के झोर से, नाथद्वारा के गोडवा से तीन को, फुलाद के जोजावर सिरियारी से, नाथद्वारा की झाला की मदार से, राजसमंद के भाणा से, झीलवाड़ा के कालागुमान से, नाथद्वारा से सुखाड़िया नगर, राजसमंद से, झीलवाड़ा के लाखावतों का गुड़ा, राजसमंद के भूडान से, राजसमंद से धर्मेटा मोरवड़ से, राजसमंद के गुगलेटा से, राजसमंद की पीपलांत्री से, राजसमंद से भूडान से और नाथद्वारा के गुंजोल से पैंथर को रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा गया।
नाथद्वारा के बेरण में छर्रे वाली बंदूक से पैंथर का शिकार किया गया था। इसी प्रकार राजसमंद के केलवा में सड़क दुर्घटना, भीम के बड़ाखेड़ा में उपचार के दौरान, राजसमंद के सापोल में बिजली का करंट लगने से, आमेट में आपरी संघर्ष में, झीलवाड़ा के थुरावड़ में आपसी संघर्ष में, नाथद्वारा के देलवाड़ा में आपसी संघर्ष में, भीम के जस्साखेड़ा में आपसी संघर्ष में, राजसमंद श्रीजी हॉस्पिटल के सामने सड़क दुर्घटना में, राजसमंद के सुंदरचा में प्राकृतिक मौत से, कुंभलगढ़ के आरेट में प्राकृतिक, झीलवाड़ा के डार की वेर में प्राकृतिक, राजसमंद के मेड़तिया में प्राकृतिक, करमाल के जोजावर में प्राकृतिक, नाथद्वारा के गाराखाना में कुंए में गिरने से, नाथद्वारा के रजियाघाटी में सड़क दुर्घटना में और झीलवाड़ा अंटालिया बीड की भागल में नर पैंथर की प्राकृतिक मौत हो चुकी है।
पशु मालिकों को नियमानुसार दिया जाता मुआवजा
इस वर्ष 17 पैंथरों की मौत हुई है और 25 को रेस्क्यू किया गया है। पैंथर के हमले में कई पशुओं की भी मौत हुई है। पशु मालिकों को विभाग के नियमानुसार मुआवजा दिया जाता है। – सुदर्शन शर्मा, उपवन संरक्षक वन विभाग राजसमंद