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न छाया, न दवा-पानी, हाजिरी भी 12 बजे तक नहीं भरी जा रही

मनरेगा की पड़ताल : जिस जगह महिला की मौत हुई, वहां दूसरे दिन भी नहीं दिखे पर्याप्त बंदोबस्त
 

राजसमंदJul 15, 2021 / 05:40 pm

jitendra paliwal

न छाया, न दवा-पानी, हाजिरी भी 12 बजे तक नहीं भरी जा रही

न छाया, न दवा-पानी, हाजिरी भी 12 बजे तक नहीं भरी जा रही

देवगढ़. महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में भीषण गर्मी में काम पर जुटे श्रमिकों के लिए सरकार की ओर से दिए जरूरी बंदोबस्त के निर्देशों की पूरी पालना नहीं हो रही है। कहीं छाया नहीं है, तो कहीं ठण्डे पानी के लिए मजदूरों को तरसना पड़ता है। किसी जगह जरूरी दवाएं या चोट लगने पर इस्तेमाल के लिए मरहम-पट्टी तक नहीं है। हाजिरी भरने में भी लापरवाही और अनियमितता बरती जा रही है।
जिस मनरेगा कार्यस्थल पर मंगलवार को एक 50 वर्षीय महिला श्रमिक की दोपहर की गर्मी में जी घबराने के बाद मौत हुई, वहां दूसरे दिन बुधवार को भी बंदोबस्त में सुधार को लेकर कोई जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारी गम्भीर नजर नहीं आया। देवगढ़ पंचायत की जीरण ग्राम पंचायत के अंतर्गत टेगी गांव में तालाब के पीछे सड़क से तीन किलोमीटर अंदर की तरफ पथरीले एवं उबड़-खाबड़ रास्ते से होकर पत्रिका टीम कार्यस्थल पर पहुंची तो देखा, वहां श्रमिकों के बच्चे पेड़ की छांव में सोए थे।
सरकार ने जो निर्देश दे रखे हैं, उन सुविधाओं में कई कमियां नजर आईं। श्रमिकों और उनके बच्चों के लिए कोई टेंट या छाया की व्यवस्था नहीं थी। हालांकि पेड़ों की छांव थी, लेकिन सुबह के सूरज की धूप से बचना मुश्किल था। दिन चढऩे पर पेड़ की छांव का सहारा मिल रहा था। पानी के लिए एक स्टील का घड़ा रखा था, जिससे पीने की बजाय श्रमिक खुद के पानी की बोतल अलग से लाए हुए थे। श्रमिकों के लिए ठण्डे पानी की व्यवस्था नहीं थी। अव्वल तो यह कि एक दिन पहले ही एक महिला मजदूर की यहां मौत हो गई थी और दूसरे दिन भी फस्र्ट एड किट या कोई दवा उपलब्ध नहीं थी।
कार्यस्थल पर मंगलवार को भी कोई सामान्य मेडिकल सुविधा नहीं थी। श्रमिकों के लिए ग्लूकोज, पैरासिटामोल या सामान्य उपयोग में काम आने वाली दवाएं भी नहीं हैं। इधर, महिला श्रमिक की मौत के बारे में बात करते हुए अन्य महिलाएं भावुक हो गईं। वे कह रही थीं, हमारी आंखों के सामने लक्ष्मी देवी ने दम तोड़ दिया और वे कुछ नहीं कर सकीं।
तीन किमी तक कंधों पर ले गए शव
कार्यस्थल पर मौजूद श्रमिकों और मेट ने बताया कि मंगलवार को मनरेगा कार्यस्थल पर लक्ष्मी देवी पत्नी मक्खन सिंह रावत की जी घबराने के बाद मौत हो गई। उसके शव को साथी श्रमिक कंधे पर उठाकर उबड़-खाबड़ एवं पथरीले रास्ते से तीन किमी पैदल चलकर बड़ी मुश्किल से मुख्य सड़क तक ले गए। फिर वहां से वाहन के जरिये हॉस्पिटल लेकर गए।
53 में से 19 श्रमिक ही आए
मंगलवार को महिला श्रमिक की मौत हो जाने पर बुधवार सुबह उसका अंतिम संस्कार किया गया। इस कारण मनरेगा कार्यस्थल पर बुधवार को 53 में से सिर्फ 19 श्रमिक ही आए।
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हमें कार्यस्थल पर श्रमिकों के लिए कोई साधन या सुविधाएं मुहैया नहीं करवाई गई है। सरपंच को पहले भी शिकायत की, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
हरिसिंह, मेट

मनरेगा में कार्यस्थल पर छाया सहित मेडिकल सुविधा नहीं है। कोई नर्स भी चेक करने नहीं आती है। पेड़ की छाया में बच्चों को बैठाते हैं। सूरज चढ़ते-उतरते उनकी जगह बार-बार छाया के हिसाब से बदलती पड़ती है।
लक्ष्मी देवी, महिला श्रमिक
अगर कहीं लापरवाही व अनियमितता है तो नियमानुसार कार्यकारी एजेंसी को पाबंद किया जाएगा।
दलपत सिंह, विकास अधिकारी देवगढ़

12 बजे तक नहीं भरी गई मजदूरों की हाजिरी
चारभुजा. ग्राम पंचायत जनावद में चल रहे नरेगा कार्यस्थल पर फस्र्ट एड किट, जरूरी दवाइयां, छाया- पानी की व्यवस्था नहीं पाई गई। मेघवाल समाज के श्मशान घाट पर पुलिया निर्माण व रास्ता का कार्य चल रहा था। मेट सांता मेघवाल ने 12 बजे तक मजदूरों की हाजिरी भी नहीं भर रखी थी, जबकि मस्टररोल में 58 मजदूरों का पंजीयन कर रखा था। पांच महिलाएं टीका लगाने के लिए गई हुई थीं व तीन महिलाएं अनुपस्थित थीं। तेज गर्मी में भी छाया की व्यवस्था नहीं थी। इन दिनों कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते सभी मजदूर अपनी पानी की बोतल साथ में लाते हैं। कोई पानी नहीं लाया हो तो उसके लिए मटकी की व्यवस्था नहीं थी। मेट ने एक बजे छुट्टी होने से ठीक कुछ देर पहले ही उपस्थिति दर्ज की।

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