चाइनीज मांझा: सस्ते में मिलती है मौत
पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी चाइनीज मांझा 200 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक की कीमत में बिक रहा है। इसकी डिमांड इतनी ज्यादा है कि दुकानदार ग्राहक के कहने पर आसानी से इसे मुहैया करवा देते हैं। प्रशासन की प्रतिबंध की कोशिशें जैसे हवा में उड़ चुकी हैं, और चाइनीज मांझा अब देवगढ़ में खुलेआम बिक रहा है। दुकानदारों के मुताबिक, चाइनीज मांझा मजबूत होता है, जिससे पतंग जल्दी कटती है और लोग इसे ज्यादा पसंद करते हैं। एक दुकानदार ने बताया कि, “हम इसे ग्राहक की डिमांड पर ही देते हैं, दुकान में इसे नहीं रखते, लेकिन अगर ग्राहक बोले तो हम चाइनीज मांझा मुहैया करा देते हैं।”
चाइनीज मांझा के कारण बढ़ रहे हादसे
चाइनीज मांझा न केवल पतंगबाजी के शौकिनों के लिए खतरा बन गया है, बल्कि यह हाथ, गला, और मुंह पर गंभीर चोटों का कारण भी बन रहा है। पिछले वर्ष भी इसी मांझे से कई लोग घायल हुए थे और अनेक पक्षी अपनी जान से हाथ धो बैठे थे। यह मांझा नायलॉन, प्लास्टिक, और सिंथेटिक सामग्री से बना होता है, जो बेहद मजबूत होता है और आसानी से टूटता नहीं है। यही वजह है कि इस पर लोहा और शीशे के कण भी होते हैं, जो घातक साबित हो सकते हैं।
मांझे के धंधे में फिल्मी चमक
चाइनीज मांझा बेचने वाले दुकानदार इसको देसी मांझा दिखाने के लिए फिल्मी सितारों जैसे सलमान खान, शाहरुख खान, और अक्षय कुमार की तस्वीरें लगा देते हैं। यही नहीं, मकर संक्रांति के त्योहारी सीजन में दुकानदार इसे खुलकर और छुपकर दोनों तरह से बेचते हैं। पहले जहां इसे चोरी-छिपे बेचा जाता था, अब तो यह मुख्यधारा में आ चुका है।
प्रशासन की लापरवाही: चेतावनी से काम नहीं चलता!
नगर पालिका प्रशासन हर साल माइक के जरिए चेतावनी देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी समझता है। लेकिन यह चेतावनियां केवल आखिरी वक्त की औपचारिकता बनकर रह जाती हैं। ठोस कार्यवाही की बात तो दूर, दुकानदारों को कोई डर नहीं है और वे खुलेआम चाइनीज मांझा बेच रहे हैं।
आखिर कब जागेगा प्रशासन?
यह सवाल है जो हर देवगढ़वासी के मन में उठ रहा है। क्या प्रशासन सिर्फ चेतावनियां ही देता रहेगा, या जिंदगी की डोर काटने वाले इस चाइनीज मांझे पर वास्तविक कार्रवाई भी करेगा? इस समय प्रशासन की नींद और लापरवाही के कारण कई जिंदगियां और पक्षियों की जान खतरे में है।
चिंता का विषय: क्या देवगढ़ में मौत का सामान कभी रुकेगा?
चाइनीज मांझे की बिक्री सिर्फ पतंगबाजी का खेल नहीं, बल्कि जिंदगियों का खतरा बन चुका है। यह समय है जब प्रशासन को केवल चेतावनियां नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।