85 हजार से अधिक तृतीय श्रेणी शिक्षकों ने किया था ऑनलाइन आवेदन
पिछली सरकार ने अगस्त 2021 में शाला दर्पण पोर्टल के माध्यम से तृतीय श्रेणी शिक्षकों से तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। इस पर प्रदेश के करीब 85 हजार से अधिक शिक्षकों ने गृह जिले में जाने को लेकर आवेदन दिए। इसके साथ ही टीएसपी से नॉन टीएसपी क्षेत्र के टीचर्स से भी विकल्प पत्र भरवाए थे। पर तबादलों का तिलस्म अब तक नहीं खुल पाया। विभाग ने तबादला नीति तैयार कर मुख्य सचिव को भेजने तथा जांच के बाद मुख्यमंत्री के पास भेजे जाने का दावा भी किया था पर परिणाम शून्य रहा। प्रदेश में करीब सवा दो लाख तृतीय श्रेणी शिक्षक एवं समकक्ष शिक्षक हैं।
तृतीय श्रेणी शिक्षकों के साथ दोगला व्यवहार
राज्य में तृतीय श्रेणी शिक्षको के साथ दोगला व्यवहार किया गया है। ऑनलाइन आवेदन लेने के बाद भी इनके तबादले नहीं किए गए। इनके तबादले अंतिम बार 2018 में हुए थे। दूसरी ओर राज्य सरकार ने प्राचार्य, व्याख्याता व वरिष्ठ अध्यापक सहित अन्य श्रेणी के शिक्षकों के बंफर तबादले किए।तबादलों को लेकर बनाते रहे केवल कमेटियां ?1994 में पूर्व शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनी थी। इस कमेटी ने प्रारूप बना दिया पर रिपोर्ट लागू नहीं हो सकी।1997-98 में नीति लाने के लिए कवायद शुरू हुई। पर कुछ नहीं हुआ। तबादलों को लेकर अलग से निर्देश जारी किए।2005 शिक्षकों को तबादलों में राहत देने के लिए दिशा-निर्देश जारी हुए।2015-16 में तबादलों के लिए मंत्री-मंडलीय समिति के साथ अन्य कमेटी भी बनाई। प्रारूप लागू नहीं हो सका।2019-20 में जनवरी 2020 में कमेटी बनी कमेटी ने अगस्त में रिपोर्ट दी। सरकार से मुहर नहीं लग पाई।
इनका कहना है
राज्य सरकार ने तबादलों से प्रतिबंध हटाया है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग में तबादलों पर रोक लगाई है। जो सही नहीं है। सरकार तबादला नीति बनाने का हवाला देकर तबादले नहीं कर रही है। संगठन की मांग है सभी संवर्गो के शिक्षकों के प्रति दो वर्ष के अंतराल से एक पारदर्शी नीति बनाकर तथा बिना डिजायर के तबादले किए जाएं। मोहर सिंह सलावद,प्रदेशाध्यक्ष, शिक्षक संघ रेसटा,राजस्थान