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Rajsamand News : पहले डीएपी की मारामारी, अब इस चीज के लिए भटक रहे किसान…पढ़े पूरी खबर

जिले में रबी की बुवाई पूरी हो गई है, लेकिन अब किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है। इसके कारण काश्तकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

राजसमंदDec 27, 2024 / 11:27 am

himanshu dhawal

राजसमंद. जिले में रबी की बुवाई के लिए पहले डीएपी के लिए मारामारी हो रही थी। अब बुवाई का दौर पूरा हो गया है तो यूरिया के लिए मारामारी शुरू हो गई है। इसके कारण काश्तकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कृषि विभाग का दावा है कि जिले में एक हजार एमटी यूरिया उपलब्ध है, लेकिन हकीकत यह है कि जिला मुख्यालय पर एक भी जगह यूरिया नहीं मिल रहा है। जिले में करीब 62 हजार हेक्टेयर में रबी की बुवाई हुई है। मौसम की फसलों के अनुकूल होने के कारण फसलों की बढ़वार भी अच्छी हो रही है। राजसमंद झील से निकलने वाली नहरें भी सिंचाई के लिए खोल दी है। इसके कारण काश्तकारों को यूरिया की आवश्यकता है, लेकिन जिला मुख्यालय पर एक भी क्रय विक्रय सहकारी समिति में यूरिया उपलब्ध नहीं है, जबकि कृषि विभाग का दावा है कि जिले में एक हजार मैट्रिक टन से अधिक यूरिया उपलब्ध है। यूरिया नहीं मिलने के कारण काश्तकारों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद कृषि विभाग भी इस और ध्यान नहीं दे रहा है। इससे स्थिति विकट होती जा रही है। उल्लेखनीय है कि गेहूं, चना और जौ फसलों में यूरिया की आवश्यकता होती है।

एक हजार एमटी का इंतजार

कृषि विभाग के अनुसार दिसम्बर माह में 1500 मैट्रिक टन यूरिया की डिमांड भेजी गई थी। इसके बदले अभी तक 500 मैट्रिक टन यूरिया आया है। इसके कारण दिसम्बर माह का एक हजार मैट्रिक टन यूरिया अभी आना शेष बताया जा रहा है, जबकि दिसम्बर माह बीतने में मात्र चार-पांच दिन शेष बचे हुए हैं। इसी प्रकार जनवरी के लिए एक हजार मैट्रिक टन यूरिया की डिमांड मुख्यालय भेजी हुई है। उल्लेखनीय है कि यूरिया का उपयोग मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। इससे फसलों की अच्छी बढ़वार होती है।

सिंचाई के लिए खुली नहरें

राजसमंद झील में इस बार पानी की अच्छी आवक होने के कारण जल वितरण समिति की बैठक में बुवाई और सिंचाई के लिए नहरें खोलने पर सहमति बनी थी। बुवाई के लिए नहरों को खोला गया था। अब सिंचाई के लिए नहरों को खोला गया है। इसके कारण काश्तकार अब फसलों की सिंचाई में जुट गए हैं। इसके कारण एकाएक यूरिया की मांग बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि बायीं नहर से 28 दिन और दायीं नहर 32 दिन सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।

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