कांग्रेस की पार्षद दुलारी साहू ने मतगणना स्थल पर निगम टाउनहाल में अक्षर ज्ञान नहीं होने का शपथ पत्र दिया, तो भाजपा ने इसके विरोध में आवेदन दिया। कलेक्टर ने नियमानुसार दुलारी को साक्षर घोषित किया और उन्हें अकेले ही मतदान करने का फैसला दिया। इस बीच मतदान की प्रक्रिया आधे घंटे के लिए प्रभावित रही। दुलारी बाई का नाम महापौर के लिए भी चला था।
Read more: CM के गृह जिले में कांग्रेस में क्रॉस वोटिंग का खतरा, कई पार्षदों को ऑफर, पिछड़ा वर्ग के पार्षद की दिल्ली रवानगी से मचा हड़कंप…. कांग्रेस की हेमा बनी महापौर राजनांदगांव नगर निगम के महापौर और अध्यक्ष पद के लिए अप्रत्यक्ष प्रणाली से हुए चुनाव में शहरी सत्ता पर कांगे्रस ने कब्जा जमा लिया है। महापौर के चुनाव में कांग्रेस की हेमा देशमुख ने भाजपा की शोभा सोनी को पराजित किया जबकि अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस की रणनीति के चलते सीढ़ी छाप में निर्दलीय चुनाव जीते पप्पू हरिनारायण धकेता ने भाजपा के शिव वर्मा को हराया। नगर निगम में 5 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है।
महापौर और अध्यक्ष के पदों पर जीत दर्ज करने के बाद कांग्रेस ने मतदान स्थल नगर निगम से कांग्रेस भवन तक और फिर मानव मंदिर चौक तक बाजे-गाजे के साथ जश्न मनाया। राजनांदगांव नगर निगम के पार्षद पद के लिए 21 दिसंबर को मतदान हुआ था। 24 दिसंबर को मतगणना में 51 सदस्यीय नगर निगम में कांग्रेस के 22 पार्षद चुनाव जीते थे। पिछली बार सत्ता में रही भाजपा को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं। शेष 8 वार्डों में अन्य ने कब्जा जमाया था जिनमें से ज्यादातर कांग्रेस के बागी थे।
साधा था निर्दलीयों को
पार्षद चुनाव के बाद से ही महापौर और अध्यक्ष की जंग में कांग्रेस भाजपा से आगे नजर आ रही थी और उसने लगभग सारे निर्दलियों को साधने का काम कर लिया था। कांग्रेस के सभी 22 पार्षद और 7 निर्दलीय राजधानी रायपुर में प्रभारी मंत्री मोहम्मद अकबर की निगरानी में थे। इनमें से 5 निर्दलियों को उनके निर्वाचन के बाद से ही कांग्रेस नेता जीतू मुदलियार ने कांग्रेस आलाकमान के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस नगर निगम में सत्ता के करीब नजर आ रही थी। आखिरकार हुआ भी यही।