बता दें कि पहले भी वेतन विसंगति व शासकीय डॉक्टरों को लेकर लाए गए नए नियम को लेकर तकरीबन दर्जनभर से अधिक डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी है। जिला अस्पताल के भी दो डॉक्टरों ने हाल में त्यागपत्र दिया है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहले ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में यदि इन डॉक्टराें का इस्तीफा मंजूर कर लिया जाता है, तो एमसीएच को बंद करने की नौबत आ जाएगी।
उपकरणों की भी सुविधा नहीं
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव से ही विधायक हैं, उन्होंने कांग्रेस कार्यकाल में चिकित्सा सुविधा को लेकर कांग्रेस के भूपेश सरकार पर भेदभाव व बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया था। यहां चिकित्सा सुविधा में सुधार लाने का दावा करते हुए डॉक्टर रमन सिंह ने एमसीएच में 45 दिनों के भीतर सीटी स्कैन और छह महीने में एमआरआई मशीन लगवाने की बात कही थी, लेकिन पूरे पांच महीने बीतने के बाद भी कोई पहल नहीं किया गया। उपकरणों की कमी के चलते भी यहां चिकित्सा सुविधा चरमराई हुई है।
इन्होंने दिया इस्तीफा
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 20 डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से हड़कंप मच गया है। इस्तीफा देने वालों में डॉ. प्रकाश खुंटे, डॉ. सीएस इंदौरिया, डॉ. धनंजय सिंह ठाकुर, डॉ. आशीष डुलानी, डॉ. चेतन साहू, डॉ. एएस, डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. प्रज्ञा, डॉ. अनिरूद्ध, डॉ. निकिता सुराना, डॉ. रूबी साहू, डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. मिंज, डॉ. अनिल कुमार सहित अन्य शामिल हैं।
क्यों छोड़ रहे नौकरी
शासकीय अस्पतालों में कसावट लाने के उद्देश्य से शासन द्वारा नया नियम लागू किया गया है। इसके तहत शासकीय अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर निजी अस्पताल या क्लीनिक में सेवा नहीं दे सकते। इन बिंदुओं को रखा
- ऐनस्थिसिया, पैथोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट अपने घर पर प्रैक्टिस नहीं कर सकते।
- स्त्री रोग विशेषज्ञ अपने निवास में प्रसव नहीं करा सकता। शल्य क्रिया नहीं कर सकता।
- कोई भी सर्जन, ऑर्थोपेडिशियन, ईएनटी सर्जन, नेत्र सर्जन अपने निवास पर सर्जिकल प्रक्रियाएं नहीं कर सकता।
- शिशु रोग विशेषज्ञ अपने निवास में मरीजों को भर्ती नहीं कर सकता।
- मनोचिकित्सा और त्वचा विकृति विज्ञान जैसी शाखाओं की भी यही स्थिति होगी।
- कोई भी व्यक्ति या डॉक्टर अपने आवास के लिए बायोेमेडिकल वेस्ट प्रबंधन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति कैसे लेगा।
- घर पर क्लीनिक चलाने से परिवार के सभी सदस्यों के संक्रमित होने का खतरा रहेगा।
- मरीज किसी भी समय निवास पर आ सकते हैं, समय अवधि का पालन नहीं होगा। मरीज देखना मजबूरी होगी, जिससे डॉक्टरों के लिए कानूनी मुद्दे पैदा हो सकते हैं।
मोटी कमाई का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं डॉक्टर
इस्तीफा देने वाले ज्यादातर डॉक्टर अपना खुद का अस्पताल चला रहे हैं या उनसे जुड़े हुए हैं। शासकीय अस्पताल में सेवा देने के बाद वे यहां मोटी रकम कमा रहे हैं। शासकीय अस्पताल के मरीजों को भी यहां रेफर कर इलाज कर रहे हैं। शासन जनता के हित को ध्यान में रखते हुए ही यह फैसला ली है, ताकि लोगों को निजी अस्पताल में जाने की मजबूरी न हो। डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करें, यदि उन्हें लगता है, कि किसी मरीज को भर्ती करने की जरूरत है, तो उन्हें शासकीय अस्पताल में दाखिला कराए।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 20 डॉक्टरों ने शासन नियमों का उल्लेख करते हुए अपनी समस्याएं व मांग पत्र दिया है। पूरी नहीं होने पर त्यागपत्र देने बाध्य होने की बात कही गई है।