पुलिस की ऐसी कार्रवाई पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर ट्वीट कर राजगढ़ पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दिग्विजय सिंह ने अपनी पोस्ट में लिखा है, ‘यह प्रथा राजगढ़ पुलिस के लिए कमाई करने का माध्यम है।’
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दरअसल,
राजगढ़ से एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, इसमें एसपी आदित्य मिश्रा एक वृद्ध व्यक्ति से मंदिर में माफी मंगवाते हुए नजर आ रहे हैं। उस वृद्ध व्यक्ति पर आरोप था कि वह ‘नात्रा एवं झगड़ा’ प्रथा निभाते हुए अपनी बहू की नीलामी कर रहा था लेकिन, पुलिस ने उसे महज माफ़ी मंगवा कर छोड़ दिया।
इस घटना को लेकर दिग्विजय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स में एक पोस्ट किया है। उन्होंने अपने लंबे पोस्ट में लिखा कि राजगढ़ ज़िले की यह ‘नात्रा व झगड़ा’ निपटाने की घिनौनी प्रथा है।
दिग्विजय ने कहा कि ‘इसके बारे में मैंने मुख्यमंत्री के रूप में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की थी और संसद सदस्य के रूप में संसद में यह विषय उठाया था।’ उन्होंने पोस्ट में राजगढ़ पुलिस प्रशासन पर आरोप लगाते हुआ लिखा कि ‘यह प्रथा राजगढ़ पुलिस के लिए कमाई का माध्यम है। राजगढ़ एसपी को आरोपी से मंदिर में माफी मंगवाने के बजाय उस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या है ये नात्रा एवं झगड़ा प्रथा
मध्यप्रदेश के कुछ
जिलों में निभाई जाने वाली ‘नात्रा एवं झगड़ा’ एक पुरानी प्रथा है, इसमें एक शादी-शुदा महिला की पंच द्वारा पंचायत में खुलेआम नीलामी की जाती है। यह कुप्रथा एक दूसरी कुप्रथा बाल विवाह से जुड़ी है। इसमें अगर कोई महिला अपनी बचपन में तय की गई शादी को तोड़ना चाहती है या अपनी शादी से खुश न होने की स्थिति में किसी अन्य पुरुष से शादी करना चाहती है तो, पंचायत बुलाकर महिला की बोली लगाई जाती है। यह बोली कोई और नहीं बल्कि, महिला के घरवाले, पति और ससुर लगवाते हैं।
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ऊंची बोली लगाने वाले की हो जाती है महिला
इस प्रथा के मुताबिक जो सबसे ऊंची या बड़ी बोली लगाता है महिला को उसके साथ भेज दिया जाता है। सबसे ऊंची बोली वाली रकम महिला का पिता पहले पति के घर वालों को देता है। ये रकम 5 लाख रुपए से लेकर 50 लाख रुपए तक की होती है। दरअसल महिला की सुंदरता और उम्र को देखकर उसकी कीमत लगाई जाती है।
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नात्रा एवं झगड़ा प्रथा के अनुसार अगर महिला का पिता या फिर वह पुरुष जिससे महिला शादी करना चाहती है, अगर वह बोली में तय हुई रकम नहीं चुकाता है, तब या तो उनके खेतों में आग लगा दी जाती है या फिर उन्हें अन्य तरीकों से नुकसान पहुंचाया जाता है।
कुछ जगह तो बोली के दौरान महिला को गालियां देने का भी रिवाज है। इस प्रथा में पंचायत के माध्यम से ही पूरी लिखा-पढ़ी की जाती है। अगर किसी महिला का पति गुजर जाता है, तो उसके नात्रा में झगड़े की रकम लेने का भी कोई नियम नहीं है।