जी हां, हम बात कर रहे हैं एक वीवीआईपी (vvip) पेड़ के बारे में, जिसकी सुरक्षा भी वीआईपी से कम नहीं होती है। यह पेड़ इसलिए भी खास है क्योंकि यह बोधी वृक्ष है। इसे श्रीलंका के राष्ट्रपति ने रौपा था। बौद्ध धर्मगुरु मानते हैं कि भगवान बुद्ध ने बोधगया में इसी पेड़ के नीचे ज्ञान प्राप्त किया था। वहीं से इसके पौधे को लाकर रौपा गया है। भारत से सम्राट अशोक भी इसी पेड़ की शाखा को श्रीलंका लेकर गए थे।
हर 15 दिन में होता है मेडिकल चेकअप
रायसेन जिले में सांची स्तूप के पास की एक पहाड़ी पर वीरान स्थान पर इस पेड़ को लगाया गया था। कहा जाता है कि जब यह पेड़ बड़ा हो जाएगा तो कई किलोमीटर दूर से ही इसके दर्शन किए जा सकेंगे। इस पेड़ के स्वास्थ्य का भी ध्यान किसी इंसान की तरह ही रखा जाता है। बकायदा 15 दिनों में एक बार सरकार जांच करवाती है। जरूरी खाद और पानी की व्यवस्था भी की जाती है। इस पेड़ को कभी भी मुरझाने नहीं दिया जाता।
24 घंटे रहती है सुरक्षा
सरकार की भी कोशिश रहती है कि पेड़ का एक पत्ता भी टूटने नहीं पाए। इसलिए 24 घंटे सुरक्षा की जाती है। इस पेड़ को चारों तरफ फैंसिंग से सुरक्षित रखा गया है। यदि एक पत्ता भी टूटता है तो सभी टेंशन में आ जाते हैं।
इसलिए बन गया वीवीआईपी पेड़
सामान्य तौर पर लोग इसे पीपल का पेड़ मानते हैं, लेकिन इसकी कड़ी सुरक्षा को देख उनके दिमाग में यह प्रश्र जरूर उठता है कि इस पेड़ की इतना खास क्यों हैं? 15 फीट ऊंची जालियों से घिरा और आस-पास खड़े पुलिस के जवानों को देख यह पेड़ किसी वीवीआईपी की तरह ही लगता है। इसकी इतनी सुरक्षा और उसके स्वास्थ्य का ख्याल जब सरकार रखती है तो लोग इसे वीवीआईपी पेड़ कहा जाने लगा। पर्यटक भी इस पेड़ को देखने के लिए जरूर आते हैं।
सरकार रखती है ध्यान
सरकार ने इसके लिए खास व्यवस्था भी कर रखी है। इसकी देखरेख उद्यानिकी विभाग, राजस्व, पुलिस और सांची नगरपरिषद मिलकर करते हैं। ये सभी विभाग इस बोधि वृक्ष का ध्यान रखने के लिए हमेशा अलर्ट मोड में रहते हैं।
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