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बुखार के अटैक से जोड़ों में दर्द,सूजन,चलना फिरना भी हुआ मुश्किल

एक पखवाड़े में 60 से ज्यादा मरीज आए इस वायरल फीवर की चपेट में,डॉक्टर भी हुए हैरान

रायसेनOct 17, 2018 / 10:53 am

Amit Mishra

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बुखार के अटैक से जोड़ों में दर्द,सूजन,चलना फिरना भी हुआ मुश्किल

रायसेन @शिवलाल यादव की रिपोर्ट…..
जिला अस्पताल में इन दिनों एक अजीब बुखार के अटैक से मरीजों का बुराहाल है। जिला अस्पताल में इस तरह के नये वायरल फीवर के जिला अस्पताल की ओपीडी में अभी तक साठ बुखार पीडि़त मरीज सामने आए हैं।

ओपीडी के डॉक्टरों के अनुसार इस बुखार के अटैक से पीडि़त मरीजों के जोड़ों में असहनीय दर्द हो रहा है। हाथ पैरों में सूजन के कारण चलना फिरना भी उनको मुश्किल होने लगा है। डॉक्टर भी इस अजीब बुखार के लक्षण देखकर हैरानी में हैं।


जिला अस्पताल की ओपीडी में इन दिनों सप्ताहभर में 8 हजार 550 मरीज इलाज कराने पंजीकृत हुए हैं। यानि रोज मरीजों की ओपीडी 1100 से 1200 पर जा पहुंची है।इसके अलावा मलेरिया, डेंगू और वायरल फीवर, बच्चों को निमोनिया ,खांसी सर्दी बुखार के लक्षण ज्यादा मिलने लगे हैं।

 

मौसम के बदलाव के साथ ही लोगोंं में ऐसा फीवर का अटैक हो रहा है कि लोगों में विकलांगता जैसे लक्षण दिखाई देेने लगे हैं। अस्पताल की ओपीडी सूत्रों के मुताबिक इस नए बुखार से पीडि़त मरीजों की संख्या प्रतिदिन 5 से 6 आ रही है।


मंगलवार को सुबह इन मरीजों की हालत देखकर डॉक्टर भी हतप्रभ रह गए । इस तरह एक पखवाड़े के भीतर इस तरह के बुखार अटैक पीडि़त मरीजों की संख्या का आंकड़ा 60 पर जा पहुंचा ।


पीडि़त मरीजों ने चिकित्सकों को बताया एक सप्ताह तक उन्हें बुखार आया। इससे उनकी शारीरिक हालत बेहद कमजोर हो गई। हाथ पैरों व उनके जोड़ों में काफी असहनीय दर्द भी हो रहा है। साथ ही सूजन के लक्षण भी साफ नजर आ रहे हैं।

नई बीमारी से डॉक्टर भी हुए हैरान …..
जिला अस्पताल की ओपीडी से मिली जानकारी के अनुसार इस नए बुखार से डॉक्टर भी हैरानी में हैं। एक पखवाड़े में जिला अस्पताल में उपचार कराने आए 8550 मरीजों में से 60 मरीजों में इस तरह के बुखार अटैक के मरीज पाए गए ।

इस तरह प्रतिदिन 56 मरीज इस तरह की बुखार और जोड़ों के दर्द ये पीडि़त इलाज कराने आ रहे हैं। आरएमओ डॉ.यशपाल सिंह बाल्यान,मेडिकल ऑफीसर डॉ.एमएल अहिरवार,चिकित्सक अब्बास अंसारी के अनुसार इस तरह नया वायरल अटैक कर रहा है। इसके लक्षण डेंगू, चिकनगुनिया जैेस नजर आ रहे हैं।


इस तरह बुखार से पीडि़त मरीजों की खून की जांच भी कराई जा रही है।डॉक्टरों के मुताबिक एक बार इस बुखार से पीडि़त होने पर वह आमतौर पर मरीज को कम कम नियमित इलाज कराना चाहिए।ताकि महीने भर में वह स्वस्थ हो सके। इसके अलावा मलेरिया, डेंगू और वायरल फीवर, शरीर में अकडऩ,सर्दी जुकाम पीडि़त मरीजों को भी यहां इलाज कराने आना पड़ रहा है।


मलेरिया को छोड़कर अन्य घातक बीमारियों की यहां जांच की सुविधा नहीं होने की वजह से राजधानी भोपाल समेत अन्य बड़े शहरों में इलाज कराने जाना पड़ रहा है।

मरीज को गोद में उठाकर लाते हैं परिजन….
इस बुखार के अटैक से बीमार मरीजों को उनके परिजन ओपीडी में डॉक्टरों के पास इलाज कराने गोद में लाना पड़ रहा है।क्योंकि मरीजों के जोड़ों में तेज दर्द होने की वजह से वह चलने फिरने लायक नहीं बचे हैं। वह मरीज उठने बैठने में भी परेशान हो रहे हैं।


इनमें बुजुर्गों व बच्चों की संख्या ज्यादा है। बीमारी की हालत यह है कि बुजुर्गों को उनके परिजन गोद में ही उठाकर चिकित्सकों के कक्ष तक इलाज कराने लाना पड़ रहा है। वर्तमान में शहरी व गांवों के लगभग एक दर्जन से ज्यादा मरीज पलंगों पर भर्ती होकर इलाज करवा रहे हैं।


सबसे ज्यादा बुजुर्ग मरीज घनी बस्तियों में रहने वाले ज्यादा उपचार कराने के लिए आए हैं। इन सघन बस्तियों में गंदगी की भरमार है। साथ ही नपा अमले द्वारा यहां सफाई कर्मियों द्वारा महीने में एक बार तो दूर की बात एक सप्ताह में गली कूचों की झाडू़ तक नहीं लग पा रही है।

लोगों का कहना है कि यहां नपा अमले द्वारा कीटनाशक दवाओं का छिड़काव तक नहीं करते । इस कारण मच्छर मक्खियों की संख्या में दिन दो गुना रात चौगुनी बढ़ोत्तरी हो रही है।

 

स्वाइन फ्लू वार्ड में लटके ताले ….
जिला अस्पताल के स्वाइन फ्लू के लिए आइसोलेशन कक्ष में इन दिनों ताले लटके हुए हैं।यह सुरक्षित वार्ड अस्पताल के प्रायवेट वार्ड के आखिरी कमरे में बनाया गया है। सूत्रों के अनुसार अब ततक अइस साल एक भी स्वाइन फ्लू संदिग्ध मरीज जिले में नहीं मिला है।

इसीलिए इस स्वाइन फ्लू के आइसोलेशन वार्ड में तोल लटके हुए हैं। नजदीक में ही ममता वार्ड के भी बुरेहाल हैं। यहां के पलंगों की दो से तीन दिनों तक स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा चादरें नहीं बदली जाती हैं।
मजबूरी में नवजात बच्चों की माताओं को मैली कुचैक्ली चादरों व टूटी फूटे पड़े पलंगों पर समय बिताना पड़ रहा है। भावना पटेल,मेहरूननिशा ,फातिमा बी,सुरेखा ठाकुर आदि ने बताया कि शिकवा शिकायतों के बाद भी इस तरफ अस्पताल प्रबंधन द्वारा गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता है।
जांच रिपोर्ट के बाद इलाज संभव……
इस वायरल अटैक के लक्षण डेंगू,चिकनगुनिया के समान हैं। यह बीमारी छोटे बच्चों व बुजुर्गों को सताने लगी है।पीडि़त मरीज का रक्त परीक्षण करवाकर जांच रिपोर्ट के बाद ही इलाज किया जा रहा है। इस नये फीवर से रोगियों में विकलांगता के लक्षण कुछ ज्यादा नजर आने लगे हैं। इस नई बीमारी से डॉक्टरों में भी हैरानी है।
डॉ.एमएल अहिरवार,मेडिकल ऑफीसर रायसेन

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