ड्रिप मल्चिंग तकनीक टमाटर की खेती में कमा में हर साल तीन लाख
युवा किसानो ने खेती की तकनीक बदलकर बदली अपनी किस्मत।
ड्रिप मल्चिंग तकनीक टमाटर की खेती में कमा में हर साल तीन लाख
बेगमगंज. अब शिक्षित किसान पारम्परिक किसानी छोडकऱ उन्नत एवं नई तकनीकि से खेती कर बड़ा मुनाफ ा कमा रहे हैं। ग्राम माला के किसान रमेश पटेल ने पारंपरिक तकनीक को छोड़ ड्रिप मल्चिंग तकनीकि से टमाटर की खेती शुरू की और दो साल में ही उनका मुनाफा ढाई से तीन लाख रुपए तक पहुंच गया। इससे पहले वे बैगन की खेती कर चुके हैं। अब उन्होंने नया प्रयोग करते हुए एक साथ डबल फसल टमाटर और तरबूज की लगाई है जिसमें टमाटर ऊपर झाड़ में लग रहे है और नीचे तरबूज की बेले फैल गई। जो गर्मियों में आएगी। इस तरह एक खेत में एक साथ दो फसल लेकर अपनी आय बढ़ाने में सफल हुए हैं। इस तरह की खेती किसानों के लिए रोल मॉडल बन गई है। दूरदराज के किसान आकर इस पद्धति को देख रहे हैं।
किसान रमेश पटेल ने बताया कि भुरेरू के उन्नत किसान सुरेंद्र कुशवाहा से प्रेरणा लेकर वे दो साल से इस पद्धति से सब्जी की खेती कर रहे हैं। जिसमें सबसे ज्यादा फायदा टमाटर से हो रहा है। उन्होंने बताया कि एक साल में दो बार पौधे रोपते हैं। टमाटर की पौध की नर्सरी 25 दिन में तैयार होती है और नर्सरी से खेत में ट्रांसप्लांट प्रक्रिया के करीब 80 दिन बाद टमाटर की फसल मिलने लगती है। जो दो से तीन महीने तक उत्पादन देती है। इसके बाद इसी पौधे में एक बार और फलाव आता है। जिससे दोबारा फसल मिलती है। उन्होंने बताया कि एक बार टमाटर की पौध लगाने के बाद 8 से 9 महीने तक यह पौध चलती है, जिससे टमाटर मिलते रहते हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत उन्हें ड्रिप मल्चिंग के लिए अनुदान प्राप्त हुआ। उद्यानिकी विभाग से तकनीकी मार्गदर्शन मिला। इस पद्धति में पानी की बचत होती है। ड्रिप सिस्टम से पानी सीधा पौधों की जड़ों तक पहुंचता है और खरपतवार भी नहीं होते हैं।
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