दरअसल 13 अक्टूबर को महावीर नगर निवासी चिराग पंजवानी, तुषार पाहुजा, तुषार पंजवानी और गली नंबर 4 तेलीबांधा निवासी सुशील खेमानी उर्फ यश खेमानी ने यश शर्मा को पार्टी में जाने के बहाने बुलाया था। इसके बाद कार से मिनिरियलस कैफे पास ले गए। सूनसान जगह पर सभी ने मिल हाथ-मुक्का, लात और बांस के मोटे डंडे से यश की
पिटाई की। जमीन में गिरने के बाद उसे और पीटा। पेट में कई वार किए। इससे उसकी अंतड़ियां डैमेज हो गई और यश बेहोश हो गया।
इसके बाद आरोपी उसे वीआईपी रोड के सगुन फार्म ले गए। वहां दो दिन तक उसे बंधक रखा। इस दौरान उसे जबरदस्ती गोलियां खिलाते थे। इसके साथ दर्द भगाने के नाम पर जबरदस्ती शराब भी पिलाते थे। शराब से उसकी अंतड़ियां और ज्यादा खराब हो गई। इसके बाद 15 अक्टूबर को आरोपियों ने उसे उसके घर के पास छोड़ दिया और भाग गए थे।
मौत के बाद किए गए गिरफ्तार
मामले की शिकायत होने पर राजेंद्र नगर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ अपराध तो दर्ज कर लिया था, लेकिन अरेस्टिंग किसी नहीं हो पाई थी। कुछ दिन पहले तुषार पाहुजा को पकड़ा गया था। इस बीच यश की मौत हो गई। इसके बाद नाराज परिजनों ने राजेंद्र नगर थाने के सामने प्रदर्शन किया।
इससे मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा। शनिवार को पुलिस ने चिराग पंजवानी, तुषार पंजवानी एवं सुशील खेमानी उर्फ यश खेमानी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। सभी आरोपी
कारोबारी परिवार से जुड़े हैं। इस कारण राजेंद्र नगर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने में ज्यादा रुचि नहीं ली थी। इससे मृतक के परिजनों में भारी नाराजगी थी।
Yash Sharma Murder Case: तीन माह तक असहनीय दर्द से गुजरा यश
पूरे मामले में आरोपियों की दरिंदगी का खामियाजा मृतक युवक और उसके परिवार को भुगतना पड़ा है। यश अपने घर का एकलौता बेटा था। वह अपनी मां और दादी के साथ रहता था। परिवार पालने के लिए सिंधी समाज में पंडिताई का काम करता था। बताया जाता है कि आरोपियों ने लात-घूंसों के अलावा लाठी से उसके पेट में कई वार किए थे, जिससे उसकी आंतों में काफी चोटें आ गई थी। उसी बीच उसे दो दिन तक बंधक रखकर शराब भी पिलाते रहे। इससे उसे काफी नुकसान पहुंचा। आरोपियों के चंगुल से छूटने के बाद 15 अक्टूबर को यश को परिवार वालों ने एम्स में भर्ती कराया। उसके कई ऑपरेशन हुए, लेकिन आंतों में सुधार नहीं हुआ। उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई। उसे रोज असहनीय दर्द होता था। खाना-पीना सब बंद हो गया था। एम्स से डीकेएस, अंबेडकर में भी इलाज चला, लेकिन वह नहीं बच पाया।