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1 दिसंबर को पूरे विश्व में एड्स दिवस मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से एचआईवी पीड़ितों की दिशा में जागरूकता संबंधी कार्य व इलाज किया जा रहा है। रायगढ़ में महिला यौन कर्मियों के लिए 7 से 8 समूह बनाया गया है। ये सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण के साथ सिलाई का काम कर रही हैं। यही नहीं अचार, बड़ी भी बना रही हैं। इसमें एनजीओ मदद कर रही हैं।
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इंजेक्टेड नशा करने वाले 160 युवा जी रहे सामान्य जीवन प्रदेश में इंजेक्टेड नशा को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग बड़ा काम कर रहा है। एड्स कंट्रोल सोसाइटी के माध्यम से अभी तक 160 युवाओं को नशामुक्त किया जा चुका है। इंजेक्शन वाले नशा से एचआईवी फैलने का खतरा रहता है। सिम्स व जिला अस्पताल बिलासपुर के अलावा सुपेला भिलाई, मनेंद्रगढ़, विश्रामपुर व कोरबा में नशा मुक्ति केंद्र खोला गया है। इसमें नशा करने वाले युवाओं को एनजीओ के माध्यम से सेंटर पहुंचाया जा रहा है। इस सेंटर के माध्यम से युवाओं को एचआइवी संक्रमित होने से भी बचाया जा रहा है।
एचआईवी पीड़ितों को कैंसर का रिस्क ज्यादा एचआईवी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है। जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो, उन्हें कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। फेफड़े के कैंसर सर्जन डॉ. कृष्णंकात साहू व ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गाेयल के अनुसार शुरुआती चरण में कैंसर का पता लगाना और तुरंत इसका इलाज करने से एचआईवी के साथ लंबे समय तक जीवित रहने की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि बाद में एचआईवी संक्रमित लोगों को कैंसर होने पर रिस्क बढ़ जाता है।
प्रदेश में इंजेक्शन से नशा लेने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसमें सफलता भी मिल रही है। एचआईवी पीड़ितों के इलाज के साथ काउंसिलिंग की जा रही है। महिला यौन कर्मियों को आजीविका का साधन दिया गया है।
– डॉ. जीजे राव, अतिरिक्त परियोजना नियंत्रक एड्स सोसाइटी
टॉपिक एक्सपर्ट
डॉ. युसूफ मेमन, सीनियर कैंसर सर्जन