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रायपुर

तीन साल से नए लैंडयूज का इंतजार, प्लॉट तो है पर बनाने की अनुमति नहीं

Raipur News: मास्टर प्लान-2031 लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। वैसे ही मास्टर प्लान 3 साल देरी से चल रहा है। खुद का मकान बनाने वाले लोग टीएनसीपी से नए मास्टर प्लान की देरी के चलते करीब 3 साल से नए लैंडयूज का इंतजार कर रहे हैं।

रायपुरJun 22, 2023 / 10:55 am

Khyati Parihar

Waiting for new landuse for three years raipur news

तीन साल से नए लैंडयूज का इंतजार

Chhattisgarh News: रायपुर। मास्टर प्लान-2031 लोगों के लिए मुसीबत बन गया है। वैसे ही मास्टर प्लान 3 साल देरी से चल रहा है। खुद का मकान बनाने वाले लोग टीएनसीपी से नए मास्टर प्लान की देरी के चलते करीब 3 साल से नए लैंडयूज का इंतजार कर रहे हैं। अहम बात यह है कि शहर के चारों ओर अवैध प्लॉटिंग करने वालों ने नए मास्टर प्लान में लैंडयूज आवासीय होने का लालच देकर अरबों की जमीन बेच दी है। अब अवैध प्लॉटिंग करने वाले मकान बनाने मास्टर प्लान का इंतजार कर रहे हैं।
15 मार्च तक मास्टर प्लान लागू करने की थी योजना

15 मार्च तक लागू होने वाला प्लान 19 जून तक लागू नहीं हो पाया है। इससे पूर्व के दो मास्टर प्लान अभी तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाए हैं। तीसरा मास्टर प्लान 2021 तक के लिए बनाया गया था। इसे 2021 में ही लागू करना था, लेकिन इस पर देरी हुई। कोरोना और लॉकडाउन की वजह से एक साल और बीत गया। इसे 2022 में जारी करना था, लेकिन अब 2023 में भी लागू नहीं हो पा रहा है। बता दें कि राजधानी में 50 साल में केवल तीन मास्टर प्लान ही बन पाए हैं। पहला मास्टर प्लान 1971 में बना था। दूसरे और अभी तीसरे मास्टर प्लान के बाद यह चौथा मास्टर प्लान अभी अधर में अटका हुआ है।
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अंतिम प्रकाशन शासन की सहमति से

मास्टर प्लान-2031 की सभी दावा-आपत्तियों का निराकरण करके शासन को भेज दिया गया है। अंतिम प्रकाशन शासन की सहमति के बाद होगा। इस माह तक मास्टर प्लान लागू किया जा सकता है।
– संदीप बागड़े, संयुक्त संचालक, टीएनसीपी


1487 आपत्तियां आई थी

मास्टर प्लान-2031 का प्रारूप तैयार कर 10 नवंबर 2022 को प्रकाशित किया गया था। प्रकाशन के बाद आपत्ति और सुझाव मंगाए गए थे। 1487 आपत्तियां आई थी। 10 फरवरी को जनसुनवाई हुई। आपत्तियों की पेशी में लंबी कतार देखकर सैंकड़ों लोग वापस लौट गए, जिसमें से सिर्फ 1000 लोग ही पहुंचे थे। 587 आपत्तिकर्ता जनसुनवाई में नहीं पहुंच पाए।
जनसुनवाई की भी तारीख बदली

मास्टर प्लान की जनसुनवाई के लिए विभाग बार-बार तारीख बदलता रहा। हर बार लोगों की भीड़ कलेक्ट्रेट पहुंचती। विभाग ने पहले 24 जनवरी, फिर 28 इसके बाद 8 फरवरी व अंत में जनसुनवाई 10 फरवरी को हुई।
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इसलिए तो देर नहीं…

अधिकारियों का कहना है कि मास्टर प्लान-2031 में दर्जनों खामियां सामने आई थी। इस वजह से नया मास्टर प्लान लागू करने में विलंब हो रहा है। डूंडा बस्ती की भूमि को प्लान में आमोद-प्रमोद में डाल दिया गया था। मोवा खसरा क्रमांक 50, 51 में प्रोजेक्ट एप्रूवल दिया और एमआर रोड का प्लान बना दिया। सकरी 487/10,488/1,2 आमोद-प्रमोद के लिए आरक्षित भूमि को व्यावसायिक में परिवर्तन के लिए रखा गया था।
आवासीय प्रोजेक्ट को खुद लेआउट टीएनसीपी ने पास किया। उनके बीचों-बीच एक एमआर रोड का प्रस्ताव बना दिया गया था। दर्जनों लोगों की निजी जमीन को राजनीति दबाव में सार्वजनिक व अर्ध सार्वजनिक की श्रेणी में डाल दिया गया। खोखो तालाब और डबरी तालाब को आवासीय बता दिया गया।
10 फरवरी को हुई थी जनसुनवाई

10 फरवरी को जनसुनवाई हुई थी। इसके बाद एक माह मास्टर प्लान लागू करना था। 1020 आपत्तिकर्ता सुनवाई में उपस्थित हुए थे। समिति के सदस्यों ने सभी की आपत्ति पर पूछताछ की थी। समिति ने प्रेषित प्रस्ताव को आवश्यक निराकरण के लिए शासन को भेजा था। शासन की मंजूरी के बाद मास्टर प्लान का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा। अधिकारियों का कहना था कि 15 मार्च तक इसे लागू किया जाएगा। अब 19 जून तक मास्टर प्लान का अता-पता नहीं है।

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