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Weather Update : छत्तीसगढ़ में भयंकर बारिश की चेतावनी जारी, इतने दिनों तक बरसेंगे बादल, IMD का अलर्ट प्राकृतिक खुशबू नवा रायपुर निमोरा के मूर्तिकार पीलूराम साहू ने गणपति बप्पा की मूर्तियों को मिट्टी के अलावा हरित उपजों से भी बनाया है। उन्होंने इन मूर्तियों के निर्माण में गेहूं, चना, धान, उड़द, मूंग, चना, सरसों के बीजों का उपयोग किया है। शरीर में धान और गेहूं है, धोती में मूंग और उड़द है, मुकुट में चना है, तिलक में मूंग है, हार में मूंग और सरसों, कड़ा में चना है। इन मूर्तियों से करीब 6 फीट की मूर्तियों से प्राकृतिक खुशबू आती है।
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CG Election 2023 : कांग्रेस की पहली सूची में 19 सीटों पर ये नेता होंगे दावेदार, प्रत्याशियों के चयन को लेकर CM हाउस में हुई मीटिंग मूर्तिकार पीलूराम साहू ने बताया कि प्राकृतिक गणेश की मूर्ति बनाने का विचार उन्होंने पिछले 4 से 5 वर्षों से किया था और इस वर्ष उनका सपना पूरा हुआ है। वे मूर्तिकला, आध्यात्मिकता और विज्ञान को साथ लेकर काम करते हैं। वे कहते हैं कि दुर्गा और गणेश के प्रतिमाओं में हमेशा से मिट्टी, गोबर, लकड़ी, भूसी, पैरा, कपड़ा, सुतली का ही प्रयोग किया जाता है।
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G – 20 पर सियासी जंग, मुख्यमंत्री बघेल ने PM मोदी पर किया तीखा वार, बोले – प्रचार-प्रसार तो हो रहा है पर रिजल्ट.. उनके पास 7-8 अजूबेदार काम हैं, जिनका रिसर्च वे 10-12 सालों से कर रहे हैं। वे बचपन से ही कुछ नया करने के लिए जुनूनी रहे हैं। उन्होंने अपने बचपन में लकड़ी की साइकिल बनाई और उसमें बैठकर पूरे गांव को घूमा था। वे 27 फीट की काली मां की मूर्ति मिट्टी से बनाई थी, जो रायपुर में पहली बार बनी थी। पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी के जीवन पर आधारित एक आर्ट बनाकर वे उसे गिफ्ट कर चुके हैं, जो सच हो गया।