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रायपुर

valentine day story : आखिर मिल ही गया ट्रांसजेंडर विद्या राजपूत को लाइफ पार्टनर

बुरे वक्त में मिला साथ, फिर आए करीब; अब किन्नरों के हित में काम कर रहे हैं दोनों

रायपुरFeb 14, 2022 / 03:10 pm

Tabir Hussain

valentine day story : आखिर मिल ही गया ट्रांसजेंडर विद्या राजपूत को लाइफ पार्टनर

विद्या राजपूत के साथ सेल्फी मोड पर देव।

ताबीर हुसैन @ रायपुर. आपने कई प्रेम कहानियां पढ़ी होंगी लेकिन आज हम आपको ऐसी कम्युनिटी की लव स्टोरी बता रहे हैं जिन्हें समाज हाशिए पर रखता है। जी हां। आज वैलेंटाइन डे पर ट्रांस जेंडर्स की मोहब्बत की दास्तां पढि़ए। वह कोई और नहीं बल्कि राज्य अलंकरण से सम्मानित रायपुर की विद्या राजपूत हैं। वे थर्ड जेंडर कम्युनिटी के बेहतरी के लिए काम भी कर रही हैं। अब वे सिंगल नहीं रहीें। उनके जीवन में ट्रांसमैन देव ने एंट्री दे दी है। वे मूलत: केरल से हैं। बैंगलुरू में जॉब करते थे। बाद में रायपुर आए और एक कार शो रूम में सेल्स एग्जीक्यूटिव रहे। अब मितवा समिति के शेल्टर होम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। विद्या ने बताया, अपनों का साथ तो कभी मिला नहीं। जिंदगी में किसी ऐसे शख्श की तलाश थी जो सुख-दुख का साथी बने। कुछ ऐसा इत्तेफाक हुआ कि देव मिल गए। वे ट्रांस मैन हैं। यानी लड़की से लड़का बने हैं। हमारे दिल मिले। अब हम एक-दूसरे के हो चुके हैं।

सब कुछ लुटाया, वो दूसरे की हो गई

देव ने बताया, मैं एक बायोलॉजिकल लड़की के प्यार में था। लेकिन वो मुझसे चीटिंग कर रही थी। एक दिन उसका झूठ सामने आ गया। मैं काफी डिप्रेशन में चला गया। उससे उबर पाना मेरे लिए मुश्किल था। विद्या से मिलने के बाद लगा कि जिंदगी एक मौका फिर से दे रही है। हमें लगा कि हम जिंदगी साथ गुजार सकते हैं।

बुरे वक्त में मिला साथ, फिर आए करीब

एक ट्रांसजेंडर रोटी, कपड़ा, मकान के अलावा प्यार और सम्मान चाहता है। इनमें से मुझे प्यार की जरूरत ज्यादा थी। मेरा बचपन से सपना था कि मेरी जिंदगी में कोई राजकुमार आए। दिल्ली में मेरा एक फ्रेंड है आर्यन पाशा। मैंने उससे कहा कि आगे की जिंदगी ट्रान्स मैन के साथ गुजारना चाहती हूं। मैंने एक मैसेज लिखकर आर्यन को भेजा। उसने इसे सर्कुलर कर दिया। मेरे पास 5 मेल आए। मैंने पांचों से बात की। उनमें से देव मुझे पसंद आए। बातचीत चल ही रही थी कि मैं एक सर्जरी कराने गई। मैं अकेली थी। मेरी तबीयत भी खराब हो गई थी। जैसे ही देव को पता चला वो आए और हॉस्पिटल में मेरी देखरेख की। उनने मेरी इतनी केयर की कि मुझे परिवार की याद नहीं आई। इस दौरान हम भावनात्मक और मानसिक तौर पर एक-दूसरे के करीब आ गए।

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