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कोरोना का इलाज कर चुके डॉक्टरों के अनुसार मरीजों डिस्चार्ज होने के बाद या अस्पताल में ही कुछ मरीज आर्टरी या पल्मोनरी थंबोसिस का शिकार हो रहे हैं। इस केस में फेफड़े को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती व हालत बिगड़ने लगती है। राजधानी में ही ऐसे एक दर्जन से ज्यादा मामले हैं। ऐसे केस में जब कोरोना संक्रमित की रिपोर्ट निगेटिव आने और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद अस्पताल से घर पहुंचा और दो-तीन दिन में सांस की दिक्कत से मृत्यु हो गई। कुछ मरीजों की मौत 24 से 48 घंटे में हो गई। डॉक्टर इसे पल्मोनरी थंबोसिस का केस बता रहे हैं।
खून गाढ़ा, आर्टरी ब्लाक, उंगलियां काली पड़ने लगी
52 साल का कोरोना संक्रमित 20 दिन अस्पताल में रहा। घर लौटा तो पैर की उंगलियां काली पड़ने लगीं। आंबेडकर अस्पताल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी विभाग में जरूरी जांच हुई। जांच में पता चला कि खून की नस ब्लॉक हो गई थी। इस कारण मरीज की सर्जरी भी की गई। कार्डियो थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार कोरोना के केस में खून गाढ़ा होने के काफी केस आए हैं। ऐसे मरीज भी अस्पताल गए, जिनका खून गाढ़ा होने की वजह से चक्कर और सिरदर्द तथा खून की नसों में ब्लॉकेज आ गया था। एक मरीज की हार्ट की मसल भी सूजी मिली। यह मायो-कार्डायटिस का केस है।
एचओडी चेस्ट डॉ. आरके पंडा का कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के अस्पताल में इलाज के दौरान या स्वस्थ होने के बाद पल्मोनरी थंबोसिस के काफी केस आए हैं। इसमें कई मरीजों की मौत भी हुई है। कोविशील्ड वैक्सीन के मामूली साइइ इफेक्ट तो आए, लेकिन किसी मौत की पुष्टि नहीं हुई है।
सीनियर ब्लड रोग विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल का कहना है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति के स्वस्थ होने के बाद कुछ मरीज इलाज के लिए आए। जांच के दौरान ऐसे मरीजों का खून काफी गाढ़ा मिला। उन्हें खून पतला करने की दवा भी दी गई। कोरोना से बचाव के लिए लगाई गई वैक्सीन से मौत की बात महज अफवाह है।
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केस-1: राजधानी के एक सीनियर डॉक्टर की 42 वर्षीय पत्नी को ओमिक्रॉन वैरिएंट का कोरोना हुआ। वह स्वस्थ भी हो गई थी, लेकिन खून का थक्का जमने के बाद घर में ही मौत हो गई। डॉक्टर अपनी पत्नी को अस्पताल भी नहीं ले जा पाए।
केस-2: भिलाई के 58 वर्षीय शिक्षक को कोरोना हुआ। अस्पताल से दोपहर में डिस्चार्ज हुए। उसी रात उनकी घर में मौत हो गई। इससे परिजन सन्न रह गए। डॉक्टरों के अनुसार पल्मोनरी थंबोसिस के कारण ऐसा होने की आशंका है।
केस-3: गुंडरदेही के 55 वर्षीय शिक्षक कोरोना होने के बाद दुर्ग में के एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए। स्वस्थ होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज भी कर दिया गया। अगले दिन दुर्ग में ही एक रिश्तेदार के घर उन्होंने दम तोड़ दिया।