बच्चों और टीचर्स में बेहतर कनेक्टिविटी इसके लिए नवाचार पर फोकस किया जा रहा है। शिक्षक दिवस को खास बनाने के लिए हमने शहर के कवियों से पूछा कि उन्हें अपने शिक्षक की कौन सी सीख आज तक याद है।सभी ने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की और कहा कि आज हम जो हैं उसका पूरा श्रेय टीचर को ही जाता है।
दुनिया के 11 देशों में किया काव्य पाठ पद्मश्री सुरेंद्र दुबे ने बताया, प्राइमरी स्कूल बेमेतरा से मैंने बुनियादी शिक्षा प्राप्त की। जब मैं चौथी कक्षा में था तब हमारे गुरुजी छन्नुलाल शर्मा ने मुझे माइक के सामने खड़ा किया। उस दिन शिक्षक दिवस था। उम्र कम थी, कक्षा भी छोटी थी। डर भी था।
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गणेशोत्सव समितियों के लिए जरूरी निर्देश, नहीं मानी ये बात तो… पुलिस दर्ज करेगी एफआईआर उन्होंने पीछे से सहारा दिया और कंधे में हाथ रखकर कहा कि बोलो-बोलो। जो पैर चौथी में कांप रहे थे वह दुबई के शेख रसीद ऑडिटोरियम में अंगद के पांव की तरह जमे थे। यह सब मेरे गुरुजी के प्रोत्साहन का नतीजा था। उनकी ही बदौलत मैंने दुनिया के 11 देशों और अमरीका के 42 शहरों में काव्य पाठ किया है।
मीर अली मीर ने बताया, वैसे तो दिन में तारे नजर आना एक कहावत है। यह मुझपर भी चरितार्थ हो चुकी है। स्व. शिवकुमार उपाध्याय संस्कृत के टीचर थे। संस्कृत में मैं काफी होशियार था। हफ्ते में एक बार रामचरितमानस का पाठ करना होता था। मुझे भी याद था।
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तीज मिलन उत्सव : बेटी बचाओ मंच के तीज मिलन में सोलह शृंगार, मेहंदी की रंगत एक बार उन्होंने कोई सवाल पूछा जिसका जवाब मैं नहीं दे पाया। गुस्से में मुझे थप्पड़ जड़ दिए और कहने लगे कि तुम्हें इतना कुछ याद है लेकिन इसका जवाब नहीं दे पाए। उस थप्पड़ का असर यह रहा कि मैंने संस्कृत को इतना पढ़ा, मुझे डिस्टिंक्शन मिल गया। यह मेरी जिंदगी का यादगार संस्मरण है।