एमबीए डिग्री होल्डर, इसलिए चुना यह स्टार्टअप
जयंती ने बताया, हम दोनों ने एमबीए किया है। मैं बैंकिंग सेक्टर में जॉब करती थी। कालाहांडी इलाके में बहुत छोटे किसान रहते हैं। कई तो ऐसे जिनके पास जमीन तक नहीं। कई ऐसे जो लेबर के तौर पर दूसरे राज्यों में काम करने जाते हैं। कई बार देखा गया कि उन्हें बाहर काम नहीं मिलता और लौटने पर अपने क्षेत्र में भी। इसलिए वे सुसाइड का रास्ता अपनाते हैं। हमने तय किया कि बकरी बैंक के जरिए महिलाओं को स्वावलंबी बनाया जाए, ताकि वे सोर्स ऑफ लवलीहुड बन सके।अगला कदम क्या होगा?
बीरेन ने बताया कि जिन इलाकों में हमारा काम चल रहा है हम वहां ऐसे लोगों को तीन महीने की ट्रेनिंग देकर पशु सेवा अधिकारी बना रहे हैं जो किसी वजह से हायर एजुकेशन हासिल नहीं कर पाए हैं। आगे हमारा इरादा है कि किसी यूनिवर्सिटी से टाइअप कर उन्हें डिप्लोमा या डिग्री दिलवाएं ताकि वे कहीं भी अप्लाई कर जॉब हासिल कर सकें।ऐसे काम करता है बकरी बैंक
माणिकास्तु एग्रो बकरी बैंक ने किसानों के लिए एक पूरी व्यवस्था बनाई है और इसके जरिए किसानों को 24 महीने के लिए दो बकरियां दी जाती हैं। बकरियां दो साल में नौ से 10 बच्चों को जन्म देती हैं, जिनमें से 6 बच्चों को बैंक द्वारा रखा जाता है, बाकी उसी परिवार को दे दिया जाता है जो बकरियां पालता है। इतना ही नहीं, बकरियों की देखभाल के लिए जरूरी सेवाएं भी प्रदान की जाती हैं।उद्भव कार्यक्रम का हिस्सा बने
आर-एबीआई के सीईओ हुलास पाठक ने कहा, 2020-2021 में इस दंपती ने हमारे उद्भव कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। हमारे इन्क्यूबेशन सेंटर में बिजनेस मॉडल डेवलपर के तहत गोट बैंक चलाने की बारीकियों का समझा व जाना। यहां से उन्हें फंडिंग भी प्राप्त हुई थी। चूंकि हमारा इन्क्यूबेशन सेंटर का क्राइटेरिया नेशनल है। देश के किसी भी कोने से लोग अपना आइडिया लेकर यहां आ सकते हैं।