पिछली भाजपा सरकार में 70 करोड़ की लागत से स्काईवाक का निर्माण करवाया जा रहा था। करीब 70 फीसदी निर्माण हो चुका है। कांग्रेस की सरकार बनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्काईवाक की उपयोगिता पर सवाल खड़े किए। इसके बाद छह महीने से इसका निर्माण कार्य ठप्प है। तय हुआ है कि शहर के लोगों, व्यपारिक संगठनों और तकनीकी विशेषज्ञों की राय से स्काईवाक पर फैसला होगा। आम जनता से राय लेने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब सिर्फ तकनीकी विशेषज्ञों की राय बाकी है। इस मसले पर मुख्य सचिव सुनील कुमार कुजूर की अध्यक्षता में 25 सदस्यों की समिति बनाई गई है। इस संबंध में 11 जुलाई को सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी 25 सदस्यों को नामित कर आदेश जारी करते हुए छह सप्ताह का समय दिया था।
सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज रायपुर के प्रोफेसर जीआर साहू ने बताया कि मैं व्यवहारिक भू-विज्ञान क्षेत्र का विशेषज्ञ हूं। स्काईवाक में आम जनता का पैसा लगा हुआ है। इसे तोडऩे के पक्ष में कतई नहीं हूं। उसके स्ट्रक्चर के बेहतर उपयोग का ही सुक्षाव दूंगा।
एनआईटी रायपुर के सिविल इंजीनियरिंग प्रोफेसर डॉ एलके यदु ने बताया कि मेरा नाम तकनीकी विशेषज्ञ की कमेटी में हैं। इस वजह से अभी स्काइवाक के मुद्दे पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा। बतौर विशेषज्ञ बैठक में ही अपनी राय दूंगा।
रायपुर के आर्किटेक्ट संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि अब तोड़े जाने के पक्ष में नहीं हूं। स्काईवाक की जरूरत ही नहीं थी। अब इसे तोड़े जाने के पक्ष में नहीं हूं। इसके स्ट्रक्चर का उपयोग फूट ओवरब्रिज बनाने और खंभों का उपयोग विज्ञापन में होगा।
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