href="https://www.patrika.com/topic/kota/" target="_blank" rel="noopener">कोटा विधायक रेणु जोगी ने प्रधान href="https://www.patrika.com/topic/mantra/" target="_blank" rel="noopener">मंत्री कार्यालय को लिखी चिठ्ठी में कहा है कि स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत राजधानी में रायपुर में स्कॉईवॉक का निर्माण किया जा रहा है। इससे शहर के ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंच रहा है। स्कॉईवॉक के निर्माण के यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। एेसे में ऐतिहासिक धरोहरों की रक्षा और आम लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण रोका जाए।
ठेके की राशि 4255.02 लाख
स्वीकृति दिनांक 8-03-2017 निर्माणकर्ता कंपनी जीएस एक्सप्रेस प्रालि. लखनऊ
कार्य पूर्णता दिनांक 23-01-2018
लंबाई 1494.613 मीटर
चौड़ाई 4.00 मीटर एवं 3.00 मीटर कलेक्ट्रेट, तहसील जाना होगा आसान
यातायात पुलिस का मानना है कि शास्त्री चौक पर स्कॉईवॉक बनने से पैदल चलने वालों को राहत मिलेगी। इससे पहले वाहनों के दबाव के चलते कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। स्कॉय वॉक के निर्माण के बाद तहसील, कलेक्ट्रेट, जिला कोर्ट परिसर, अस्पताल, शासकीय कार्यालय आदि आने-जाने वालों को राहत मिलेगी।
भिलाई में सुपेला चौक और कोसा नाला पर दो फुटओवर ब्रिज बनाया गया, लेकिन लोग ब्रिज के बजाय डिवाइडर पार करके ही जाना पसंद कर रहे हैं। फुटओवर बिज्र के निर्माण का उद्ेश्य पूरा नहीं हुआ।
जबलपुर में 3 साल पहले प्रयोग के तौर पर स्कॉईवॉक का निर्माण किया गयाथा, जिसे यातायात बाधित करने और यहां असामाजिक तत्वों के जमावड़े कोदेखते हुए नगर-निगम ने इसे एक साल के भीतर ही तोड़ दिया।
पत्रिका ने अपनी पड़ताल में पाया कि तीन साल पहले राज्य सरकार ने रेलवे स्टेशन से शास्त्री चौक, शास्त्री चौक से आजाद चौक, तेलीबांधा तक फ्लाईओवर का कॉन्सेप्ट बजट में रखा था, लेकिन बाद में रसूखदार कारोबारियों के दबाव और कुछ अन्य कारणों से सरकार ने यह योजना ठंडे बस्ते में डाल दी। इससे पहले पीडब्ल्यूडी ने रेल्वे स्टेशन से शास्त्री चौक पर फ्लाईओवर के लिए सर्वे भी कर लिया था। इसमें जिक्र किया गया था कि वाहनों के अधिक दबाव को देखते हुए इस मार्ग पर फ्लाईओवर की आवश्यकता है।
1. सोशल मीडिया के वायरल मैसेज में बताया जा रहा है कि अंडर रोड वॉक-वे के लिए महज ३ मीटर नीचे जाना होता है, अर्थात 12 से 15 सीढ़ी।
2. स्कॉयवॉक के लिए 8 मीटर ऊपर जाना होगा अर्थात 30 से 32 सीढ़ी।
3. लोग अधिक ऊपर जाने के बजाय सड़क पार करना ज्यादा बेहतर समझेंगे।
4. यहां लगने वाले एस्के लेटर भी रायपुर रेलवे स्टेशन की भांंति कुछ समय बाद बंद पड़े रहेंगे।
5. स्कॉयवॉक का उपयोग सिर्फ शराबियों-भिखारियों और सामाजिक तत्वों द्वारा किया जाएगा।
6. शास्त्री चौक से जयस्तंभ चौक पर प्रतिदिन लगभग एक लाख वाहन गुजरते हैं, जबकि पैदल चलने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक नहीं है।
8. जिस तरह ट्रैफिक का दबाव बढ़ता जा रहा है इससे अगले पांच वर्षों में दबाव दोगुना हो जाएगा। & देखना यह होगा कि स्कॉयवॉक के निर्माण के बाद कितने लोग इसका उपयोग करते हैं। लोगों पर इसके उपयोग का दबाव भी नहीं बनाया जा सकता। शास्त्री चौक पर लंबे समय से ट्रैफिक का दबाव है। स्कॉयवॉक और फ्लाईओवर दोनों का अपना महत्व है, लेकिन आने वाले वर्षों में ट्रैफिक का दबाव और इसकी उपयोगिता के बाद ही निष्कर्ष निकाला जा सकेगा।
मनीष पिल्लेवार, ट्रैफिक और नेवीगेशन एक्सपर्ट
कन्हैया अग्रवाल, अध्यक्ष, प्रदेश कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ
फ्लाईओवर के स्थान पर गलत तरीके से स्काईवॉक निर्माण की शिकायत कलक्टर जनदर्शन में हुई है। एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला ने राजधानी रायपुर में स्काई वॉक के नाम से जनता की राशी का दुरुपयोग करने की शिकायत अपर कलक्टर से की। उन्होंने आरटीआई से निकाले गए दस्तावेजों के हिसाब से बताया कि पीडब्लूडी द्वारा मद क्रमांक 2180 (लागत 500 लाख) 2015-16 में फ्लाईओवर के निर्माण पर राजकुमार कॉलेज से शास्त्री चौक तक व्यय किया जाना, तथा मद क्रमांक 2181(लागत 500 लाख) वर्ष 2015-2016 में रेलवे स्टेशन से पुराना पुलिस मुख्यालय तक फ्लाईओवर निर्माण का कार्य प्रगति पर बता कर राशि व्यय किया जाना बताया है। स्काई वॉक के नाम पर मद क्रमांक 2176 में शहर के मुख्य मार्ग पर 500 लाख का व्यय कर वर्ष 2016-17 में कार्य प्रगति पर बताया गया है। उन्होंने अपर कलक्टर को बताया कि पीडब्लूडी द्वारा फ्लाईओवर की मद की राशि गलत तरीके से स्काईवॉक पर व्यय की जा रही है।