एसबीआई खाताधारक जिनका मासिक बैलेंस औसतन 25000 रहता है, वह बैंक ब्रांच से 2 बार मुफ्त में कैश निकाल सकते हैं।
– 25000 से 50000 औसत बैलेंस वाले खाताधारक 10 बार मुफ्त कैश निकाल सकते हैं।
– 50000 से 1,00,000 रुपये तक के औसत बैलेंस वाले खाताधारकों बैंक ब्रांच से 15 बार मुफ्त कैश निकाल सकते हैं।
– 1,00,000 रुपये से अधिक औसत बैलेंस वाले खाताधारक बैंक ब्रांच से कैश निकालने के लिए कोई पाबंदी नहीं है। बैंक ब्रांच से वह कितनी बार भी कैश निकाल सकते हैं। 15 बार मुफ्त कैश निकाल सकते हैं।
– फ्री लिमिट के बाद कैश निकालने पर 50 रुपये और जीएसटी देना होगा।
एसबीआई अब 3 मुफ्त कैश डिपोजिट ट्रांजेक्शन महीने में देगा। इसके बाद बैंक आपसे 50 रुपये और जीएसटी चार्ज करेगा। 3. एसबीआई एटीएम से 12 बार मुफ्त निकासी
एसबीआई के एटीएम से मुफ्त निकासी की सीमा बढ़ जाएगी। मेट्रो शहर के ग्राहक जहां एसबीआई एटीएम से दस बार मुफ्त ट्रांजैक्शन कर सकते हैं, वहीं अन्य शहरों में यह सीमा 12 हो गई है। यही नहीं, एसबीआई खाते में निर्धारित मासिक औसत बैलेंस (एमएबी) नहीं बनाए रखने पर जुर्माने की रकम में भी 80 फीसदी तक की कटौती हुई है।
एसबीआई के क्रेडिट कार्ड से पेट्रोल-डीजल खरीदने पर 0.75 फीसदी का कैशबैक नहीं मिलेगा। सेस घटने से 10 से 13 सीटों वाले पेट्रोल-डीजल वाहन सस्ते होंगे। 5. घटे चेक बुक के पन्ने
एसबीआई ने चेक के द्वारा किए जाने वाली पेमेंट थोड़ी महंगी हो गई है। अब बचत खाते पर एक वित्त वर्ष में 25 की जगह केवल 10 चेक ही मुफ्त देगा। इसके बाद 10 चेक लेने पर 40 रुपये देने होंगे। जबकि पहले मुफ्त चेक बुक के बाद 10 चेक लेने पर 30 रुपये देने पड़ते थे। इस पर जीएसटी (GST) अलग से चुकाना होगा।
एसबीआई बैंक ने चेक बाउंस होने वाले मामलों में सख्ती बरतनी के मकसद से चार्जेस बढ़ा दिये हैं। 1 अक्टूबर से कोई भी चेक तकनीकी या किसी भी कारम से बाउंस होने पर जीएसटी मिलाकर 168 रुपये चुकाने होंगे।
– एसबीआई 1 अक्तूबर से मेट्रो शहरों के ग्राहकों के लिए मासिक न्यूनतम बैलेंस घटाकर 3,000 रुपये कर देगा, जो अभी 5,000 रुपये था।
– अगर अब आपका न्यूनतम बैलेंस 50 फीसदी तक कम होता है तो 10+जीएसटी का चार्ज लगेगा। अगर न्यूनतम बैलेंस 50 से 75 फीसदी कम होता है तो 12+जीएसटी लगेगा। अगस न्यूनतम बैलेंस 75 फीसदी से अधिक कम होता है तो 15+जीएसटी लगेगा।
– गांवों और छोटे कस्बो में न्यूनतम बैलेंस 1,000 रुपये मेंटेंन करना होगा। अगर अब आपका न्यूनतम बैलेंस 50 फीसदी तक कम होता है तो 5+जीएसटी का चार्ज लगेगा। अगर न्यूनतम बैलेंस 50 से 75 फीसदी कम होता है तो 7.5+जीएसटी लगेगा।
नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (NEFT ) और रियल-टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS ) का शुल्क भी बदल गया है। 10,000 रुपये तक का एनईएफटी लेनदेन पर दो रुपये के साथ जीएसटी लगेगा। वहीं दो लाख से अधिक की राशि एनईएफटी करने पर 20 रुपये के साथ ग्राहकों को जीएसटी देना होगा। आरटीजीएस (RTGS) से दो लाख से पांच लाख तक भेजने पर 20 रुपये के साथ जीएसटी लगेगा। पांच लाख रुपये से ज्यादा के लेनदेन पर 40 रुपये प्लस जीएसटी चार्ज लगेगा। बता दें कि यह डिजिटल पेमेंट माध्यम से मुफ्त है लेकिन ब्रांच पर इसकी फीस लगाई जाती है।
भारतीय स्टेट बैंक ने अपने लघु एवं मध्यम उद्योग ऋण, होम लोन, कार लोन और अन्य खुदरा ऋणों पर कल से 1 अक्टूबर से ब्याज दर रेपो दर के आधार पर वसूलेगा। बैंक ने सोमवार को घोषणा की कि वह अपने सभी तरह के परिवर्तनीय ब्याज दर वाले ऋणों के लिए बाहरी मानक रेपो दर को मानेगा। यानी अगले 5 दिन में एसबीआई बैंक के लोन से जुड़े नियम बदल जाएंगे।
– होम लोन
– कार लोन
– पर्सनल लोन
– लघु एवं मध्यम उद्योग ऋण
– ट्रैवल लोन लोगों का क्या कहना है –
छत्तीसगढ़ की 80 % आबादी भारतीय स्टेट बैंक के खाताधारक हैं। जब पत्रिका ने एक अक्टूबर से लागू होने वाले बैंक नियमों के संबंध में चर्चा किया तो सबका का कहना है यह आम जनता के लिए बेहद दुखद है।रायपुर के एक कॉमर्स छात्र का कहना है देश में मंदी का दौर है और इस समय यह नियम का लागू होना सभी खाताधारकों के लिए जीवन में नयी परेशानी से कम नहीं है। साथ ही लोगों का कहना है वे पूर्ण रूप से बैंक के ऊपर ही आर्थिक निर्भर हैं और लोन व्याज दर में बदलाव से और समस्या बढ़ जाएगी।