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अब रिटायर्ड होने के बाद भी उनसे एडीएम कार्यालय नहीं छूट रहा है। लगातार अनाधिकृत कार्यालय के गोपनीय दस्तावेजों को अपनी आलमारी में रखते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इस संबंध में कलेक्टोरेट कार्यालय के अधिकारियों को जानकारी ही नहीं है।
जबकि अभियोजन से लेकर सभी फाइलों की नोटसीट में अधिकारियों द्वारा रिटायर्ड बाबू के नाम से मार्क किया जाता है। बतादें कि एडीएम कार्यालय की अभियोजन शाखा में हजारों प्रकरण खाद्य एवं औषधि प्रशासन व अन्य विभाग के सुनवाई के लिए पहुंचते हैं न्यायालीन प्रक्रिया के गोपनीय दौरान दस्तावेज इस कार्यालय में उपलब्ध रहते हैं इसके बाद भी रिटार्यड बाबू, कुछ एडवोकेट को बुला कर डेरा जमाए रहते हैं।
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सबसे मलाइदार कुर्सी
बतादें कि एडीएम कार्यालय के कई विभाग के लाइसेंस के लिए एनओसी जारी करना व मिलावटखोरी के प्रकरण की सुनवाई व धारा 151 में जमानत जैसे काम किए जाते हैं। कई बार मामले सामने भी आ चुके हैं कि इन कार्यो के लिए जमकर वसूली की जाती है।
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केबिन ही नहीं किया खाली
रिटायर्ड होने के बाद से अब किसी भी बाबू को अभियोजन साखा का प्रभार नहीं दिया गया है। विभाग के रिकार्ड में वर्तमान में कोई भी अभियोजन शाखा का प्रभारी नहीं है। बाबू के लिए बना हुए केबिन अब तक खाली नहीं किया गया है न ही आलमारी की चाबियां कार्यालय को सौंपी गई है।
मेरे अनुभव का लाभ लेने के लिए विभाग के अधिकारी मुझे बुलाते हैं। मैं नियमित नहीं आता। जब अधिकारी बुलाते हैं तब ही आता हूं।
-एचएस कर, सेवानिवृत, मत्स निरीक्षक
मुझे जानकारी नहीं है मैं एक बार चेक कर लेता हूं, फिर कुछ बता पाउंगा।
-विनीत नंदनवार, एडीएम, रायपुर