दुर्गापुर की एमबीएल इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने बीएसपी से स्क्रेप उठाने टेंडर लिया था। यह कंपनी सीआईएसएफ के कुछ अफसरों से मिलकर संयंत्र से स्क्रेप के साथ प्योर लोहा भी पार कर रही थी। तत्कालीन सांसद ताराचंद साहू ने इसकी जानकारी मिलने पर पीएम से शिकायत की। लाखोटिया ने सांसद को शिकायत वापस लेने रिश्वत देने की पेशकश की। डिप्टी कमांडेट अभय गुप्ता ने मध्यस्थता की। बातचीत के बाद लाखोटिया रिश्वत देने पहुंच गए। तब से लेकर अब तक यह केस चल रहा था। इसके बाद न्यायालय ने इसमें सजा सुनाई है। हालांकि सांसद इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ की छेड़ी गई मुहिम रंग लाई और आरोपी को सजा मिली। दूसरी तरफ इस मामले में एक अन्य आरोपी सीआईएसएफ के डिप्टी कमांडेंट अभय कुमार गुप्ता को न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है।