सुबह उठने पर यात्री देखते हैं कि उनका झोला, बैग कुतरा जा चुका है। जबकि, दावा ये किया जाता है कि मैकेनाइजल्ड वॉङ्क्षशग सिस्टम से यात्रियों को सुविधाएं मुहैया कराई जाती है। सवाल उठता है कि जब यात्री ट्रेनें कोङ्क्षचग डिपो में धुलाई, मेंटेनेंस के लिए जाती हैं, तब ये काम ठीक से कराया क्यों नहीं जाता है। गरीब रथ एक्सप्रेस को तो रायपुर स्टेशन में ही हल्का-फुल्का मेंटेनेंस करके रवाना कर दिया जाता है। इस ट्रेन में कई साल पुराने बर्थ लगे हुए हैं, उसे भी इकोनॉमी कोच में तब्दील नहीं किया जा रहा है। कोच में ही चूहे जहां-तहां छुपे रहते हैं और रात में यात्रियों को नुकसान पहुंचाते हैं। यहां तक बर्थ और खिड़कियों में लगे पर्दे भी कुतरते हैं।
कोई पेस्ट कंट्रोल नहीं चूहों से परेशान और नुकसान उठाने वाले कृष्णकुमार साहू ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि रेलवे के फस्र्ट एसी कोच तक में सफर करना मुश्किल होता है। 11 फरवरी को पुरी-दुर्ग इंटरसिटी एक्सप्रेस के फस्र्ट एसी कोच के एच 1 ए में 1, 2, & नंबर के बर्थ में सफर कर रहे थे। लेकिन रातभर चूहों से परेशान हुए। सबेरे देखते हैं तो उनका झोला और ट्रॉली बैग कई जगह चूहे कुतर दिए। इस परेशानी को उन्होंने अपने एक्स पर साझा किया। रेलवे को भी पोस्ट किया है।