रेलवे 3 बार करेगा रिसाइकल ताकि एक बूंद न जाए बेकार
यह काम हो जाने पर कई गाडि़यों का संचालन होने लगेगा। जिसके मेंटेनेंस में
खपत होने वाले पानी को री-साइक्लिंग कर दो से तीन बार उपयोग में लाया जा
सकेगा। खारुन से स्टेशन में पानी सप्लाई के लिए खुद की पाइप लाइन है।
रायपुर. रेलवे अब एक-एक बूंद पानी का हिसाब रखेगा। प्लेटफॉर्म, ट्रैक और गाडि़यों की धुलाई में रोजाना लाखों लीटर पानी बर्बाद होता है। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने जा रहा है। री-साइक्लिंग प्लांट लगाने के लिए दो स्टेशनों का चयन कर लिया है। मॉडल स्टेशन के अलावा यह माना जा रहा है कि नया रायपुर को रेल सेवा से जोडऩे के लिए पटरी बिछाने का काम शुरू हो चुका है। यह काम हो जाने पर कई गाडि़यों का संचालन होने लगेगा। जिसके मेंटेनेंस में खपत होने वाले पानी को री-साइक्लिंग कर दो से तीन बार उपयोग में लाया जा सकेगा। खारुन से स्टेशन में पानी सप्लाई के लिए खुद की पाइप लाइन है।
50 लाख लीटर की खपत
दुर्ग स्टेशन से गाडि़यों का संचालन होने के कारण रोजाना 50 लाख लीटर पानी की खपत हो रही है। गाडि़यों की धुलाई में सबसे अधिक पानी लगता है, जो नाली से बह जाता है। इसे देखते हुए यहां रेलवे री-साइक्लिंग प्लांट लगाया है। इसके माध्यम से 25 लाख लीटर पानी बर्बाद होने से बचाया जा रहा है। जिसका उपयोग तीन बार होता है।
15 लाख लीटर की बर्बादी
रायपुर स्टेशन में रोजाना 15 लाख लीटर पानी धुलाई के बाद बर्बाद हो जाता है। छह नंबर ट्रैक पर रायपुर से लखनऊ के बीच चलने वाली ट्रेन की धुलाई कराई जाती है। स्टेशन में बिछी पटरियों का जाल साफ करने में में हजारों लीटर पानी लगता है, जो नाली से बह जाता है। उस पानी का री-साइक्लिंग कर फिर से उपयोग करने की योजना बनाई गई है। प्लांट लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
रायपुर मंडल की गाडि़यों का संचालन दुर्ग से होता है। वहां री-साइक्लिंग प्लांट लगा हुआ है, जिससे तीन बार पानी का उपयोग होता है। उसी तरह रायपुर में भी री-साइक्लिंग प्लांट लगाने की योजना है।
रतन बसाक, पीआरओ, रायपुर मंडल
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