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अस्पतालों की दवाइयों में किया जा रहा ये बड़ा खेल, अधिकारी डकार गए करोड़ों रूपए

Raipur Government Hospital: मांग में गड़बड़ी कर दवाइयों के लोकल पर्चेजिंग का खेल, छह महीने में करोड़ों की खरीदी- प्रदेश स्तर पर सिंडिकेट हावी, डिमांड में गड़बड़ी कर पैदा करते हैं दवाओं की कमी

रायपुरSep 18, 2019 / 05:17 pm

CG Desk

अस्पतालों की दवाइयों में किया जा रहा ये बड़ा खेल, अधिकारी डकार गए करोड़ों रूपए

अस्पतालों की दवाइयों में किया जा रहा ये बड़ा खेल, अधिकारी डकार गए करोड़ों रूपए

रायपुर . प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में लोकल पर्चेज में दवा खरीदने के नाम पर बड़ा खेल हो रहा है। सरकार की ड्रग लिस्ट में 726 (420 ड्रग और 306 कंज्युमेबल आइटम) प्रकार की दवाइयां शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग की ओर से सिर्फ 395 प्रकार की दवाइयों की सूची खरीदी के लिए सीजीएमएससी (CGMSC) के पास भेजी जाती है। हैरान करने वाला तथ्य यह है कि जिन 395 (214 प्रकार की दवाइयां और 181 प्रकार के कंज्युमेबल आइटम) प्रकार की दवाइयों की खरीदी लोकल पर्चेज से की जा रही है।

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वर्ष 2019-20 में हुई खरीदी के आंकड़ों पर गौर करें तो अप्रैल माह में प्रदेश स्तर पर 5.59 करोड़ रुपए की दवा स्थानीय स्तर पर खरीदी गई। इसमें 2.63 करोड़ की दवाएं और 2.96 करोड़ के कंज्युमेबल आइटम हैं। पिछले पांच माह में 25 करोड़ रुपए से ज्यादा की दवाइयों की खरीदी लोकल पर्चेज से की जा चुकी है। वार्षिक मांग पत्र में जानबूझकर मात्रा गलत डाली जाती है क्योंकि यह ऑनलाइन है। जो दवाएं जिला स्तर पर मांग की जाती हैं, संचालनालय स्तर पर उनमें कांटछांट की जाती है।

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स्टॉक में दवा फिर भी लोकल पर्चेंजिंग के लिए अनुमति मांगी
अपै्रल में 420 दवाओं में से 75 सीजीएमएससी के पास उपलब्ध थीं। इसके अलावा जो 214 प्रकार की दवाओं की लोकल पर्चेजिंग की गई, उनमें से 37 प्रकार की दवाएं सीजीएमएससी के गोदाम में मौजूद थी। गोदाम से मंगवाने की जगह अपने स्तर पर खरीदी की गई।

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अधिकारियों से सांठगांठ
सिर्फ अप्रैल महीने में करीब 6 करोड़ रुपए की दवाइयों की लोकल पर्चेजिंग हुई। विभागीय सूत्रों के अनुसार छह माह में 25 करोड़ की दवाओं की स्थानीय खरीदी हो चुकी है। इसके बाद भी अस्पतालों में दवाओं को टोटा है। पत्रिका को मिली जानकारी के मुताबिक डीएचएस के वित्त और क्रय विभाग के कुछ अधिकारी खेल कर रहे हैं।

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14 करोड़ की दवाइयां एक्सपायर हो गईं
पिछले वित्तीय वर्ष में डीएचएस द्वारा 14 करोड़ की दवाइयों की अनावश्यक मांग सीजीएमएसी के पास भेजी गई। खरीदी होने के बाद भी दवाइयों को वेयरहाउस से नहीं उठाया गया। दवाइयां गोदाम में ही एक्सपायर्ड हो गई। सीजीएमएससी द्वारा अतिरिक्त राशि खर्च कर इसे नष्ट किया गया।
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दवा माफियाओं के लिए रचा जाता है खेल
दवा निगम बनने के बाद से ही पुराने कद्दावर सप्लायर टेंडर प्रक्रिया से बचने और फायदे के लिए यह तरीका खोजा है। पत्रिका के पास मौजूद विभागीय पत्र से खुलासा होता है कि दवाइयों खरीदी के लिए वार्षिक मांग पत्र में मात्रा गलत डाल कर सुनियोजित तरीके से स्थानीय खरीदी का खेल खेला जा रहा है।

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ऐसे समझें खेल
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ी वार्षिक मांग 2018-19 और 2019-20 के लिए भेजने और सीजीएमएससी में दर उपलध होने के बावजूद वर्ष 2018-19 में लगभक 44 लाख रुपए की स्थानीय खरीदी हुई। वर्ष 2019-20 में केवल 2 महीनो में ही लगभक 4 लाख रुपए की स्थानीय खरीदी की गयी है। पत्रिका को उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर वर्ष 2018-19 में दवा के स्थानीय स्तर पर 28 करोड़ से अधिक की खरीदी हुई, कंज्युमेबल की खरीदी लगभग 98 करोड़ रुपए की है।

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सीजीएमएससी (CGMSC) के एमडी ने लिखा था पत्र
स्वास्थ्य संचालनालय को दवा निगम के प्रबंध संचालक ने बाकायदा पत्र लिख कर मांग में गड़बड़ी होने की सूचना दी है। इसमें संख्या के साथ सालभर में स्थानीय स्तर की खरीदे गए आइटम की संख्या और लागत का ब्यौरा है। साथ ही मांग होने के बाद भी निगम को सही मांग न प्रेषित करने का उल्लेख है। पूर्व में चर्चित मल्टीविटामिन सिरप घोटाले में भी संचालनालय स्तर पर मांग संख्या में छेड़छाड़ कर 19 लाख की जगह 19 करोड़ की मांग भेजी गयी थी। इस प्रकरण में स्टोर में पदस्थ फार्मासिस्ट को ससपेंड कर खानापूर्ति कर दी गई।

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