इनसे बनता है मिलेट्स व्यंजन दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों के बीच इनकी खासी डिमांड है। मिलेट्स फूड प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, इसलिए मिलेट्स कैफे प्रदेश में खोले जा रहे हैं। अब तक प्रदेश में पांच से ज्यादा मिलेट्स कैफे खुल चुके हैं।
होटल-रेस्टोरेंज पहुंचने वाले ग्राहकों को कोदो, कुटकी, बाजरा, ज्वार, रागी, मक्का और संवा का सूप, भजिया, इडली, डोसा, पोहा, उपमा, हलवा और ( Millets benefit) कुकीज के साथ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन परोसे जा रहे हैं। इन व्यंजनों में ठेठरी, खुरमी, अइरसा, चाकोली, सेवई आदि भी उपलब्ध करवाया जा रहा है।
मिलेट मिशन में छत्तीसगढ़ अग्रणी राज्य छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी का ना सिर्फ समर्थन मूल्य घोषित किया गया, अपितु समर्थन मूल्य पर खरीदी भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के माध्यम से प्रदेश में कोदो, कुटकी एवं रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर उपार्जन ( Millets benefit) किया जा रहा है। इस पहल से छत्तीसगढ़ में मिलेट्स का रकबा डेढ़ गुना बढ़ा है और उत्पादन भी बढ़ा है। अब तक राज्य के 10 जिलों में 12 लघु मिलेट प्रसंस्करण केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं।
रकबा भी बढ़ा प्रदेश में कोदो, कुटकी और रागी की खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर 1 लाख 88 हजार हेक्टेयर तक पहुंच गया है। आईआईएमआर हैदराबाद के ( Millets benefit) साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के अंतर्गत त्रिपक्षीय एमओयू भी हुआ है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है।
सीएसआईडीसी ने मिलेट आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ चुनिंदा ब्लॉक में भूमि, संयंत्र और उपकरण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की योजना पेश की है।
ग्राहकों की डिमांड के अनुसार सर्विस देने का पूरा प्रयास होटल पहुंचने वाले मेहमानों की डिमांड को देखकर अधिकांश बड़े होटल में मिलेट्स व्यंजन रखा जा रहा है। लोकल के अलावा दूसरे राज्यों से आए मेहमान ( Millets benefit) इसका ज्यादा सेवन कर रहे हैं, लेकिन अभी चलन नहीं बढ़ा है। ग्राहकों की डिमांड अनुसार उनकी सर्विस देने का पूरा प्रयास करते हैं।
– कमलजीत सिंह होरा, संरक्षक, छत्तीसगढ़ होटल एसोसिएशन