यह घोटाला 11 मई 2021 को पीएससी का रिजल्ट जारी होने के बाद सामने आया था। इस दौरान पता चला कि पीएससी अध्यक्ष, सचिव और अधिकारियों ने रसूखदार जनप्रतिनिधियों के बच्चों को उपकृत करने के लिए उन्हें पीएससी में सलेक्ट किया है। जारी किए गए रिजल्ट में फर्जीवाड़ा किया गया है।
यह परीक्षा प्रतियोगी परीक्षा वर्ष 2020-21 में ,जो 171 पदों के लिए ली गई थी। जिसके परिणाम 11 मई 2023 को जारी किए जाने के बाद पीएससी परीक्षा में अनियमितता एवं भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए ननकीराम कंवर व अन्य ने आरोप लगाया था। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ा मुद्दा बनाया था। साथ ही राज्य में सरकार का गठन होने पर इस घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की घोषणा की थी। प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद इसकी जांच सीबीआई से जांच कराए जाने का निर्णय लिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई : सीजीपीएससी भर्ती प्रकरण की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 27 सितंबर को होनी थी। लेकिन, अब यह 6 अक्टूबर को 2024 को होगी। सुप्रीम कोर्ट में लगाए गए आवेदन में बताया गया है कि किस तरह से कम नंबर वालों का सलेक्शन किया गया है। हालांकि इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाईकोर्ट ने सवाल उठाया था कि ऐसा क्या संयोग है कि अध्यक्ष और नेताओं के रिश्तेदारों का चयन हो गया।
मुख्यमंत्री और राज्यपाल से की गईं 48 शिकायतें सीजीपीएससी में पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुई गड़बड़ी की 48 शिकायतें राज्यपाल, सीएम और मुख्य सचिव से की गई हैं। इन शिकायतों को राज्य सरकार ने गंभीरता से लिया है। सूत्रों का कहना है कि इस प्रकरण में सीबीआई की एंट्री भी हो सकती है। इस संबंध में पत्र भी सीबीआई को लिखने की जानकारी मिली है।
इस तरह हुई गड़बड़ी सीजीपीएससी का फाइनल रिजल्ट 11 मई 2023 को जारी हुआ था। इसमें 171 पदों पर पीएससी ने भर्ती परीक्षा का आयोजन हुआ था। इसके लिए प्री एक्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया। इसमें 2565 लोग उत्तीर्ण हुए। 26 से 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए थे। इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सूची जारी की गई थी, जिसमें 15 लोगों का चयन डिप्टी कलेक्टर के लिए हुआ था। इसके जारी होने के बाद अभ्यर्थियों और भाजपा ने आरोप लगाया था कि मेरिट लिस्ट में पीएससी चेयरमैन के रिश्तेदारों व कांग्रेस पार्टी के नेताओं के करीबियों का फर्जी तरीके से चयन किया गया है। इन आरोपों के बाद भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने 18 लोगों की नियुक्ति को रोकने के आदेश दिए थे।
इसलिए दर्ज हुई एफआईआर गृह विभाग के शिकायत पत्र के आधार पर प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि टामन सिंह सोनवानी पीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष, जीवन किशोर ध्रुव, तत्कालीन सचिव, तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक, आयोग में पदस्थ अधिकारी एवं राजनेताओं व अन्य के द्वारा अपने पद का दुरुपयोग किया गया है। वहीं पात्रता रखने वाले कई योग्य अभ्यार्थियों के बदले शासकीय पदों पर अपात्र लोगों का चयन किया गया था। इसे देखते हुए संदेह के दायरे में आने वालों के खिलाफ धारा 120 बी, 420, भादवि एवं धारा 7, 7 (क), एवं 12 भ्र.नि.अ. 1998 यथा संशो. 2018 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।