दो महीने बाद पता चला बीमारी का
बच्ची के नाना रोमनाथ ने बताया, ताक्षी का जन्म सर्जिकल हुआ है। दो महीने बाद हमें बीमारी का पता चला। डेढ़ महीने तो एम्स रायपुर में निकल गए। जब उन्होंने हाथ खड़े कर दिए तो हमने एक चाइल्ड डॉक्टर से सम्पर्क किया। उनने कहा कि इसका इलाज चेन्नई या हैदराबाद में हो पाएगा और खर्च भी ज्यादा आएगा।सरकार से मिले 18 लाख रुपए, क्राउड फंडिंग भी
बिटिया के इलाज के लिए सरकार से 18 लाख की मदद मिली। क्राउड फंडिंग से भी कुछ हेल्प हुई। ट्रांसप्लांट में करीब 20 लाख खर्च हुए। यह राज्य का पहला लिवर ट्रांसप्लांट माना जा रहा है जिसे हैदराबाद के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मोहम्मद अब्दूल नईम ने सिटी के रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल में किया। उनका साथ डॉ. अजित मिश्रा की टीम ने दिया। मार्गदर्शन हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. संदीप दवे का रहा।बच्चों में जन्मजात होती है बिलारी अत्रेसिया बीमारी
डॉ. दवे ने बताया, बिलारी अत्रेसिया नामक बीमारी बच्चों में जन्मजात होती है। इसमें पित्त की नलियां ब्लॉक होने की वजह से पीलिया बढ़ते जाता है और लिवर डेमेज होने लगता है। डॉ. अजित ने बताया, इस ट्रांसप्लांट में लिवर का कुछ हिस्सा लिया जाता है। लिवर की खासियत होती है कि यह रीग्रोथ करता है और वापस अपने शेप में आ जाता है।