scriptChhattisgarh Rice Mill: स्टोरेज की कमी, चावल हो रहा खराब, 2000 राइस मिल खस्ता हाल में | Raipur: 2000 rice mills of the state are on the verge of closure, rice is getting spoiled lying around | Patrika News
रायपुर

Chhattisgarh Rice Mill: स्टोरेज की कमी, चावल हो रहा खराब, 2000 राइस मिल खस्ता हाल में

Chhattisgarh Rice MSP (Minimum suport price) : महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडू चावल लेते थे। लेकिन खुद की पैदावार करने लगे हैं तो नहीं खरीद रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि जून से रैक मिलने लगे।

रायपुरMay 01, 2024 / 10:00 am

Shrishti Singh

Rice mills

Raipur News: प्रदेश के 2000 राइस मिल बंद होने की कगार पर हैं। इन मिलों में मिलिंग बंद है। कारण यह है कि एफसीआई और नान के गोदामों में जगह नहीं होने की वजह से मिलिंग का चावल नहीं लिया जा रहा है। इससे मिलों में चावल रखने की दिक्कत शुरू हो गई है। मामले में एफसीआई के अधिकारियों का कहना है कि इस बार सरकार ने चावल का आवंटन 25 लाख टन बढ़ा कर 67 लाख टन कर दिया गया। जबकि, गोदामों की क्षमता नहीं बढ़ाई गई है। मिलर्स का कहना है कि एफसीआई द्वारा 30 लाख टन फोर्टिफाइड चावल लेना अभी बाकी है, जिसकी मिलिंग हो चुकी है और चावल रखने की जगह नहीं है। मिलर्स का कहना है कि एफसीआई के गोदामों में उसना चावल रखने की जगह मिल रही है। फोर्टिफाइड चावल के लिए धान नवंबर 2023 से तीन माह तक दिया गया। अब इस चावल को रखने के लिए एफसीआई के पास जगह ही नहीं है।

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CG FCI (Food Corporation of India): संग्रहण केंद्रों से उठ चुका है 45 लाख टन चावल

प्रदेश की संग्रहण केंद्रों से 45 लाख टन धान मिलर्स उठा चुके हैं। अब धान मिलों में पड़े-पड़े सूख रहा है और कुछ खराब हो रहा है। बता दें कि एफसीआई द्वारा मिलर्स से चावल लेने के पहले जांच की जाती है, जिसे कैमिकल टेस्ट बोला जाता है। जैसे-जैसे धान पुराना होता है, केमिकल टेस्ट में फेल होने की संभावना ज्यादा रहती है। ऐेसे में मिलर्स को नुकसान होता है। अभी जो धान सूख कर कम वजन हो रहा है उसका नुकसान मिलर्स को होना तय है।

पीडीएस सिस्टम में होगी दिक्कत

राज्य सरकार ने 140 लाख टन किसानों से घन खरीदा है। चावल 67 प्रतिशत अरवा और उसना 68 फीसदी चावल मिलिंग किया जाना है। प्रदेश के मिलर्स एफसीआई और नान चावल को देते हैं। नागरिक आपूर्ति निगम जो चावल लेती है उससे पीडीएस सिस्टम संचालित होता है। इस तरह मिलिंग में देरी से पीडीएस के लिए चावल वितरण में भी दिक्कत हो सकती है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश प्रभारी अध्यक्ष परमानंद जैन का कहना है कि राइस मिलों का अरवा चावल भारतीय खाद्य निगम पिछले दो माह से नहीं ले रहा है, जिससे प्रत्येक राइस मिल को लाखों का नुकसान हो रहा है। इसके साथ आने वाले सीजन में भी कस्टम मिलिंग का कार्य प्रभावित होगा।

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अध्यक्ष योगेश अग्रवाल का कहना है कि मार्कफेड की जवाबदारी है कि 15 दिन के भीतर चावल मिलिंग के बाद जमा करवाना। एफसीआई में चावल नहीं रखने के लिए जगह नहीं है। दिल्ली से रैक नहीं लग रही है। राइस मिले बंद होने की कगार पर हैं। चावल नहीं उठने से दिसंबर तक मिलों से जमा होने की संभावना नहीं है, जिससे अगले साल की खरीदी के बाद मिलिंग संभव नहीं है। इससे पीडीएस सिस्टम भी आने वाले समय में चरमरा जाएगा। सरकार को इसके लिए रास्ता निकालना चाहिए।

जीएम देवेश यादव का कहना कि इस बार रिकार्ड 187 रैक लोड किए गए हैं। इससे पहले 2016 में 156 रैक लगे थे। भारत राइस नान एफआरके अरवा और उसना का मात्र 36 हजार टन ही मिलर्स से आया है। इस बार सरकार ने अचानक से आवंटन 25 लाख टन बढ़ा दिया है। 67 लाख का आवंटन कर दिया गया, पिछले साल 42 लाख टन लिया गया था। अभी अरवा चावल में दिक्कत हो रही है। महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडू चावल लेते थे। लेकिन खुद की पैदावार करने लगे हैं तो नहीं खरीद रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि जून से रैक मिलने लगे।

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