त्यौहार में रहे सावधान: 24 घंटे में मिले 1817 नए संक्रमित, 1,709 हुए स्वस्थ, 20 की मौत
यह है आदेश
एफआरसी द्वारा के संशोधन एक्ट 28 सितंबर 2016 के मुताबिक के बिंदू क्रमांक 28(3) के मुताबिक कुल फीस 5 लाख 10 हजार 500 रुपए तय की गई है। जिसमें मेडिकल कॉलेजों का वार्षिक शुल्क 4 लाख 43 हजार 300, ट्यूशन फीस समेत, विकास शुल्क 53 हजार 196 व टूर एंड ट्रेवल्स शुल्क 14 हजार रुपए तय की गई है। जो कुल 5 लाख 10 हजार 500 रुपए होता है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा निर्धारित फीस की से 55 हजार रुपए अतिरक्ति फीस की मांग की जा रही है। अलग-अलग बैच की फीस में कुछ अंतर है लेकिन भ्रमण शुल्क निर्धारित शुल्क में ही जुड़ा हुआ है।
कोरोना काल में अर्थिक संकट
मेडिकल कॉलेजों की शीटों के लिए छात्रों के अभिभावकों को लाखों रुपए का शिक्षा ऋण लेना पड़ता है। कई लोग अपनी संपत्ति तक बेचकर बच्चों को डॉक्टर बनाने का सपना पूरा करते हैं। वर्तमान में कोरोना काल में पूरा देश अर्थिक संकट से गुजर रहा है ऐसे में छात्रों से नियम विरुद्ध फीस की वसूली की जा रही है।
भ्रमण शुल्क के नाम पर वसूली
पैत्रिक राज्य मध्यप्रदेश सरकार ने निजी मेडिकल कॉलेजों के भ्रमण शुल्क की राशि 6 हजार रुपए प्रति वर्ष तय की है। जबकि एमबीबीएस की शिक्षा काल 4 वर्ष 6 माह में 40 शिक्षा भ्रमण कराया जाना आवश्यक है। इस तरह एक वर्ष में 8 भ्रमण कराए जाते है। जिसकी दूरी 25 से 30 किलोमीटर होनी चाहिए। इसके लिए मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा 40 हजार रुपए प्रति वर्ष की वसूली कर रहा है। इस तरह मध्यप्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेज में 26 हजार रुपए एमबीबीएस के शिक्षण काल में लिया जाता है। लेकिन छत्तीसगढ़ में 1 लाख 40 हजार रुपए की मांग की जा रही है।
चिटफंड कंपनियों में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए अच्छी खबर, मिलने लगी डूबी हुई रकम
एएफआरसी ने बताया वैकल्पिक शुल्क
अपने आदेश में एएफआरसी नें ट्रांस्पोटेशन व हॉस्टल शुल्क को वैक ल्पिक बताया है। यदि छात्र चाहे तो दोनो सुविधा नहीं भी ले तो उसका शुल्क प्रबंधन द्वारा नहीं वसूला जा सकता। लेकिन रिम्स प्रबंधन द्वारा दोनों शुल्क को अनिवार्य किया गया है।