घर में आंमत्रित कर ऐसे करें पूजा
प्राचीन मान्यता है कि पितरों के तर्पण व मोक्ष प्राप्ति के लिए पितृ पक्ष में मृतक के पुत्र द्वारा अपने माता-पिता की मृत्यु के दिन तिथि के अनुसार उन्हें अपने घर में आंमत्रित कर विधि विधान से तुरई के पत्ते में अन्न, जल भेंट कर तर्पण किया जाता है। ग्रामीणों के मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के दौरान केवल पितृदेव की पूजा की जाती है और विभिन्न मांगलिक कार्य करना अशुभ माना जाता है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
इसलिए पितृपक्ष के चलते कोई भी निर्माण व नए व्यापार आदि की शुरुआत करने में परहेज किया जाता है। इस लिहाज से लोगों द्वारा सावधानी बरती जाती है। पितृपक्ष के संबध में ग्रामीणों का कहना है कि पितृपक्ष में मांगलिक कार्य वर्जित रहता है। इस पक्ष में पुत्र द्वारा अपने पितरों को तोरई पत्ते पर अन्न, जल देकर तृप्त किया जाता है। तभी पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सुबह-सुबह करें ये सब
पितृपक्ष के दौरान सभी लोग अपने घर आंगन में चांवल आटे से रंगोली बनाकर उस पर पीढ़ा का आसन में फूल सजाकर एक लोटा जल, दातुन आदि रख कर अपने अपने पितर को न्योता देकर अपने घर आंमत्रित करते हैं। कंडे में अग्नि जलाकर दुबी के सहारे जल, गुड़, उड़द दाल, गुलाल आदि समर्पित करते हैं। साथ ही अपने पितृदेव की पूजा कर तोरई पत्ते पर मुख्यत,उड़द दाल की बड़ा, तुराई की सब्जी के अलावा खीर, पुड़ी परोसते हैं।
अब नजर नहीं आते कौएं
एक समय था जब लोग आंगन व छतों पर कौएं को भगाते थक जाते थे। कौएं आंगन से खाद्य समाग्री को लेकर उड़ जाते, लेकिन अब यह कौएं विलुप्त के कगार पर है। जबकी पितृपक्ष में सबसे ज्यादा महत्व कौएं का होता है। पितृपक्ष में पितरों की मोक्ष के लिए कौएं को भोजन करना उचित माना जाता है। कई लोग कौए को पितरों का एक रुप मानते हैं।