बदले हुए मौसम में आंबेडकर अस्पताल, जिला व निजी अस्पतालों में मरीज पहुंचने लगे हैं। आंबेडकर के मेडिसिन ओपीडी में रोजाना 500 से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जाता है। इनमें 10 से 15 फीसदी मरीज लू व इसके लक्षण वाले, पेट में इंफेक्शन, उल्टी व दस्त के मरीज आ रहे हैं। यही स्थिति बच्चों के विभाग पीडियाट्रिक में है। गर्मी में घर में बनी चीजें भी जल्दी खराब होने लगती है। इसमें जल्दी बैक्टीरिया पनपने लगता है। बाहर भी, जहां पेय पदार्थ बिक रहे होते हैं, साफ-सफाई नहीं होने के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। इसलिए गर्मी के सीजन में खानपान पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। खासकर बासी चीजों से दूर रहकर ही सेहत को ठीक रखा जा सकता है। लोग लापरवाही में कहीं भी खा-पी लेते हैं, जो ठीक नहीं है।
बच्चा सुस्त दिखे तो डॉक्टर को दिखाएं
गर्मी के सीजन में खानपान की चीजों में जल्दी बैक्टीरिया पनपता है। इसे खाकर खासकर बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। बड़ों की तुलना में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण वे जल्दी बीमार होते हैं। सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ. वीरेंद्र कुर्रे व डॉ. आकाश लालवानी के अनुसार शरीर के बैक्टीरिया के प्रवेश करने पर पहले उल्टी होती है, फिर दस्त होता है। डॉक्टरों के अनुसार बच्चा अगर सुस्त लग रहा है और 6 घंटे तक पेशाब न हो तो विशेषज्ञ डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
ये सावधानी बरतें
- छोटे बच्चों के लिए कमरे का तापमान ऐसा रखें, जिससे उन्हें पसीना न आएं।
- मौसमी फल तरबूज व खरबूज को धोकर खूब खिलाएं।
- खासकर दोपहर में बाहर ले जाने से बचें। जरूरी हो तो ढंककर ले जाएं।
- बाहर जलजीरा, नींबू पानी या शरबत पीएं तो हाइजीन मेंटेन हो।
- बाहर से घर में जाएं तो तुरंत ठंडा पानी न पीएं।
- फ्रिज से निकालकर तुरंत कुछ न खाएं। इसे सामान्य होने दें।
- बुजुर्गों को बाहर न ले जाएं। वे बीमार पड़ सकते हैं।
खानपान में सावधानी नहीं बरतने पर लोग उल्टी-दस्त, पेट में संक्रमण का शिकार हो रहे हैं। जहां तक हो सके, इस सीजन में बाहर खाने-पीने से बचें। बासी खाना बिल्कुल न खाएं। लू लगने या उनके लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाएं।
गर्मी में बच्चों को लू लगने के साथ खानपान में ध्यान नहीं देने पर पेट में इंफेक्शन व उल्टी-दस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। ओपीडी में ऐसे केस आ भी रहे हैं। बच्चों को न ज्यादा गर्मी में ले जाएं और घर में ज्यादा ठंडा वातावरण में रखें।