मुस्लिम लीग ने प्रस्ताव पास किया था कि हमें भारत में नहीं रहना है, अलग देश चाहिए। गांधीजी की राष्ट्रभक्ति पर प्रश्नचिह्न नहीं है, लेकिन उन्होंने कहा था कि देश का विभाजन मेरी लाश पर होगा, लेकिन विभाजन हो गया और वह जीवित रहे। तीसरा पात्र है कांग्रेस। उस वक्त कांग्रेस का लचर और सत्ता प्रेमी नेतृत्व इसका कारण रहा और चौथा पात्र रहा वामपंथ। कांग्रेस और अंग्रेजों की इस लड़ाई को बुर्जुआ लड़ाई कहकर वामपंथी (Partition Horrors Remembrance Day) अंग्रेजों के साथ खड़े हो गए थे। उन्होंने यह बात विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कही।
उन्होंने कहा, विभाजन की विभीषिका के रूप में विभाजन की त्रासदी को याद करने और नई पीढ़ी को उससे अवगत कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त 2021 से इस दिवस के आयोजन की परंपरा को शुरू किया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, भारत का विभाजन देश का विभाजन नहीं था यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक थी। विभाजन का दंश जो पीढ़ी ने झेला है, उसे आने वाली पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी। संगोष्ठी में सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे।
आजकल नेता देश को अपनी प्रॉपर्टी समझकर व्यवहार कर रहे : मुकेश खन्ना
Partition Horrors Remembrance Day: विचारक एवं फिल्म कलाकार मुकेश खन्ना ने कहा, आज राष्ट्र विरोधी ताकतों के इरादों को पहचानने की आवश्यकता है। कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन पर विचार करने के लिए हम विवश होते हैं। 14 अगस्त को जब देश का बंटवारा हुआ था, क्या देश राजनीति में धर्म के आधार पर बंटता है? पाकिस्तान बना, पर हिंदुस्तान कहां है। आजकल नेता देश को अपनी प्रॉपर्टी समझ कर व्यवहार कर रहे हैं। इस अवसर पर मनमोहन सिंह सैलानी, भीमनदास बजाज, मनुमल पृथ्वानी सहित विभाजन के दंश झेल चुके वरिष्ठ नागरिकों का शॉल व स्मृति चिह्न देकर अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम का संचालन अनुराग सिंहदेव ने किया।