NYF : इस कलाकार ने विवेकानंद के रायपुर में बिताए पल को रंगों में उकेरा
युवा महोत्सव में रंगोली आर्टिस्ट प्रमोद साहू ने स्वामी विवेकानंद पर केंद्रित एक विशाल रंगोली बनाई। इसे देखने यहां मौजूद दर्शकों की बड़ी संख्या उमड़ पड़ी।
Vivekananda spent in Raipur moment
रायपुर. युवा महोत्सव में राजधानी के रंगोली आर्टिस्ट प्रमोद साहू ने स्वामी विवेकानंद पर केंद्रित एक विशाल रंगोली बनाई। इसे देखने यहां मौजूद दर्शकों की बड़ी संख्या उमड़ पड़ी।
इस प्रदर्शनी के जरिए कलाकार ने यह बताने की कोशिश की कि स्वामी विवेकानंद का रायपुर से गहरा नाता है। नरेंद्र से स्वामी बनने की प्रेरणा स्वामी विवेकानंद को राजधानी के बूढ़ातालाब तट पर ही मिली थी। वे यहां नजदीक में कालीबाड़ी स्थित एकनाथ डे अकादमी जहां आज है वहां रहते थे।
जबलपुर से बैलगाड़ी से आए थे स्वामी जी
स्वामी विवेकानंद रायपुर जबलपुर के जरिए आए थे। वे यहां 1877 से 1878 के उत्तरार्ध तक रुके। इतिहासविद बताते हैं कि उस वक्त रायपुर से होकर गुजरने वाली मौजूदा हावड़ा-मुंबई रेल लाइन का निर्माण नहीं था। स्वामीजी का परिवार कोलकाता से जबलपुर ट्रेन से और वहां बैलगाड़ी में बैठकर करीब 400 किलोमीटर का सफर 15 दिनों में करके आया था।
बूढ़ा तालाब को बनाया अपना तपस्थल
स्वामी विवेकानंद के पिता कोर्ट में अपने जमाने के ख्यात अधिवक्ता थे। उनका किसी कानूनी काम से ही रायपुर आना हुआ था। वे यहां करीब 18 महीने तक रहे। इस दौरान उन्होंने अपना निवास बूढ़ापारा की मौजूदा एकनाथ डे अकादमी को बनाया था। युवा नरेंद्र यहां से प्रतिदिन बूढ़ातालाब जाते थे।
प्रकृति के बीच उन्हें जीवन के रहस्यों को जानने की प्रेरणा मिली। बस यहीं से नरेंद्र ने सोचना शुरू किया कि इतना महान हिंदु धर्म आखिर कैसे कुरुतियों की जकडऩ में है और यहीं से स्वामीजी की रहस्य को खोज निकालने की जिज्ञासा बढ़ती गई।
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