हाल ही में डीएमई कार्यालय ने शासन के पत्र का हवाला देकर जीरो परसेंटाइल से एडमिशन से इनकार कर चुका है। पिछले साल अगस्त में शुरू हुई काउंसिलिंग 29 फरवरी तक चलेगी। सेशन भी पिछले साल 1 सितंबर को शुरू हो चुका है। इसके बाद प्रवेश के लिए इंडियन नर्सिंग काउंसिल बार-बार तारीख बढ़ा रही है। पहले डीएमई डॉ. विष्णु दत्त ने शासन के एक आदेश का हवाला देते हुए निजी नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन को जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने की मांग को ठुकरा दिया था। शासन ने कहा था कि जीरो परसेंटाइल से एडमिशन देने पर नर्सिंग की पढ़ाई की गुणवत्ता गिरेगी। इससे अस्पतालों में कम क्वालिटी की नर्स सेवाएं देंगी। 29 फरवरी तक प्रवेश की जो तारीख बढ़ाई गई है, इसका फायदा तभी होता, जब प्रवेश जीरो परसेंटाइल से होता। 40 व 50 परसेंटाइल वाले छात्र पहले ही प्रवेश ले चुके हैं। इसके बावजूद 3 हजार के आसपास सीटें खाली रहना चौंकाता नहीं है।
हर साल सीटें रह जाती हैं खाली BSC Nursing Admission: ये पिछले पांच साल का ट्रेंड है, जब हर बार बीएससी की एक चौथाई से ज्यादा सीटें खाली रह जाती हैं। प्रदेश में बीएससी की 7216 सीटें हैं। पिछले पांच साल में कई कॉलेज खुले हैं, जहां सुविधाएं नाम मात्र की हैं। डीएमई, छग नर्सिंग काउंसिल व हैल्थ साइंस विवि के निरीक्षण के बाद भी कमियों वाले कॉलेजों को हर साल मान्यता मिल जाती हैं। जानकार इसी पर सवाल उठा रहे हैं। दरअसल निजी नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन हर बार शासन पर दबाव बनाकर तारीखें तो बढ़वा ही लेता है, जीरो परसेंटाइल से प्रवेश में भी कामयाब हो जाता है। इसके बावजूद एक चौथाई सीटें खाली रह जाती हैं।