पिछले साल नवंबर में अधिसूचना जारी कर 3 मार्च को नीट पीजी की तारीख तय की गई थी। जनवरी में फिर संशोधित अधिसूचना जारी कर 7 जुलाई को परीक्षा निर्धारित की गई थी। (National eligibility cum Entrance Test) विशेषज्ञों के अनुसार बार-बार तारीख बदलने से छात्रों की तैयारी पर असर पड़ने लगा है। वे शेड्यूल के अनुसार तैयारी करते हैं। अब 15 दिन कम कर दिया गया है। दूसरी ओर सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों (Medical college) में नए सत्र से पीजी की 100 सीटें बढ़ सकती हैं।
इन सीटों को राज्य सरकार से मंजूरी व हैल्थ साइंस विवि से एफिलिएशन मिल गया है। अब एनएमसी की मंजूरी का इंतजार है। नीट पीजी के बाद सीटों की स्थिति फाइनल होने की संभावना है। वर्तमान में प्रदेश के 8 कॉलेजों में पीजी की 518 सीटें हैं। इनमें 259 सीटें स्टेट कोटे की है। 6 सरकारी व 2 निजी मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स चल रहा है।
सरकारी कॉलेजों में 400 के आसपास सीटें हैं। सबसे ज्यादा सीटें नेहरू मेडिकल कॉलेज में 150 हैं। अगले सत्र से तीन सरकारी व एक निजी कॉलेज में पीजी कोर्स शुरू हो सकता है। सिस बिलासपुर व रायगढ़ में तीन-तीन तथा जगदलपुर में दो विभाग में पीजी कोर्स को हैल्थ साइंस विवि से एफिलिएशन मिल गया है। वहीं बालाजी मेडिकल कॉलेज रायपुर में 20 विभागों में 100 सीटों के लिए एफिलिएशन मिल चुका है। इस कॉलेज में पहली बार पीजी कोर्स शुरू होगा। वहीं रिस रायपुर व शंकराचार्य कॉलेज भिलाई में पहले से पीजी कोर्स चल रहा है।
राज्य शासन से अनुमति व विवि से एफिलिएशन मिलने के बाद अब एनएमसी की टीम निरीक्षण के लिए आएगी। पीजी कोर्स शुरू करने के लिए पहली बार सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों को राज्य शासन की मंजूरी की जरूरत पड़ रही है। पहले पीजी के लिए यह नियम नहीं था। हैल्थ साइंस विवि के एफिलिएशन व एनएमसी की मंजूरी के बाद पीजी कोर्स शुरू हो जाता था।
सीटें बढ़ने का सबसे बड़ा असर ये होगा कि कट ऑफ मार्क्स गिर जाएगा। यही नहीं प्रदेश में ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टर निकलेंगे। एमडी व एमएस डिग्री के बाद एमबीबीएस पास डॉक्टर विशेषज्ञ डॉक्टर बन जाता है। मेडिसिन, ऑब्स एंड गायनी, पीडियाट्रिक, जनरल सर्जरी, रेडियोथैरेपी, चेस्ट, स्किन, साइकेट्री, ऑर्थोपीडिक्स, ईएनटी, ऑप्थेलमोलॉजी में एमडी-एमएस की डिग्री मिलती है। वहीं रेडियो डायग्नोसिस, पैथोलॉजी, माइक्रो बायोलॉजी व बायो केमेस्ट्री में एमडी पास डॉक्टर सोनोग्राफी विशेषज्ञ से ब्लड जांच विशेषज्ञ बनते हैं।
पीजी सीटें बढ़ने का फायदा छात्रों को होगा। इससे ज्यादा विशेषज्ञ डॉक्टर निकलेंगे। तारीख बदलने के बाद अब छात्रों को पढ़ाई पर फोकस करना चाहिए ताकि सलेक्शन हो।
क्लीनिकल व नॉन क्लीनिकल विभाग में पीजी कोर्स शुरू करने के लिए आवेदन किया गया है। सीटें बढ़ने से कट ऑफ मार्क्स गिरेगा। इसका फायदा छात्रों को होगा।