हाथी पर आएंगी और घोड़े पर जाएंगी माता रानी, सालों बाद बना सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग
इसी दिन कलश स्थापना के साथ देवी शैलपुत्री की पूजा भी होगी। फिर इसके बाद क्रमशः ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कत्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा होगी। 06 अक्टूबर को महाअष्टमी और 07 अक्टूबर को महानवमी पड़ेगी। इसके बाद 08 अक्टूबर को विसर्जन के साथ नवरात्रि का समापन होगा।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि के 9 दिनों में 6 दिन विशेष योग बनेंगे। जिसकी वजह से नवरात्रि की पूजा काफी शुभ और फलदायी होगी। 2 दिन अमृत सिद्धि, 2 दिन सर्वार्थ सिद्धि और 2 दिन रवि योग बनेंगे। हिंदू धर्म में नवरात्रि का बड़ा महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता कैलाश पर्वत से धरती पर अपने मायके आती हैं। मां का धरती पर आगमन कई कारणों से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
ये हैं वो शुभ संयोग
29 अक्टूबर को प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना
30 सितंबर को अमृत सिद्धि योग
1 अक्टूबर को रवि योग
2 अक्टूबर को अमृत और सिद्धि योग
3 अक्टूबर को सर्वार्थ सिद्धि
4 अक्टूबर को रवि योग
5 अक्टूबर को रवि योग
6 अक्टूबर को सर्वसिद्धि योग रहेगा।
नवरात्रि शुभ मुहूर्त: (shardiya Navratri, Date and Time, Muhurt)
नवरात्रि के पहले दिन यानि 29 सितंबर को सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत योग का शुभ संयोग बन रहा है। इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि इस बार घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त की अवधि लंबी रहेगी। हिंदू पंचांग के मुताबिक सुबह के समय घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 15 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद दोपहर के समय 1 बजकर 45 मिनट से लेकर 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगा। फिर शाम के समय घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त 6 बजकर 15 मिनट से लेकर 9 बजकर 45 मिनट तक रहेगा।