विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर पत्रिका बता रहा है कि इसे नए शैक्षणिक सत्र से शुरू करने के लिए प्रयास होना चाहिए। खासकर ऐसे क्षेत्रों में जहां बच्चों में कुपोषण अधिक है। प्रारंभिक तौर पर पहली से पांचवीं तक के स्कूली बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ-साथ नाश्ता दिया जा सकता है। इससे शाला त्यागी बच्चों को स्कूल तक लाने में काफी सफलता मिलेगी।
विशेषज्ञों की मदद से तैयार करें मेन्यू
1. स्कूल शिक्षा विभाग को इसका प्रस्ताव तैयार करना चाहिए। खर्च के आंकलन के आधार पर विभागीय मंत्री से मंजूरी लेने के बाद वित्त विभाग से अनुमति का प्रयास करना चाहिए। इसका प्रस्ताव तैयार कर आगामी कैबिनेट की बैठक में रखा जाना चाहिए। 2. बच्चों को नाश्ता देने के लिए विशेषज्ञों की मदद से मेन्यू तैयार करना चाहिए। मेन्यू ऐसा हो, जो बच्चों के शारीरिक विकास के साथ-साथ मानसिक विकास में भी मदद करें। नाश्ता स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखना तैयार होना चाहिए।
3. विशेषज्ञों की मानें तो पहली से आठवीं तक बच्चों को नाश्ता देने के लिए 300 से 400 करोड़ रुपए की जरूरत होती है। इसलिए केंद्रीय मदद के प्रस्ताव तुरंत भेजना होगा। राज्य स्तर पर भी बजट का इंतजाम करना होगा। जुलाई में अनुपूरक बजट में इसे शामिल किया जा सकता है।
Namo poshan yojana 2024: छोटे कदमों से ही ये दो अहम वादे भी पूरे हो जाएंगे
> संकल्प पत्र में विद्यार्थियों को कॉलेज आने-जाने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से मासिक ट्रेवल अलाउंस देने का वादा भी किया है। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग से बस या ट्रेन से सफर करने वाले विद्यार्थियों की सूची मंगाई जा सकती है। परिवहन विभाग से तालमेल बैठकर लागू किया जा सकता है।
> संकल्प पत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा गलत तरीके से बंद किए गए सभी स्कूलों को फिर से खोलने का वादा भी किया गया था। इस पर नीतिगत फैसला लेकर आदेश जारी किया जा सकता है। इसके लिए बहुत ज्यादा फंड की भी आवश्यकता नहीं होगी। नए सत्र से पढ़ाई शुरू हो सकती है।
Namo poshan yojana 2024: बड़ी रकम की व्यवस्था के बिना राह मुश्किल
पहली से आठवीं तक बच्चों को मध्याह्न भोजन के साथ नाश्ता देने आसान नहीं है। पिछले साल प्रदेश में पहली से आठवीं तक लगभग 41 लाख 78 लाख विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। यदि तीन से चार रुपए के हिसाब से बच्चों को नाश्ता दिया जाएगा, तो भी बड़ी रकम की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए बजट में राशि रखना होगा। हालांकि पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में इसे आसानी से लागू किया जा सकता है।